नई दिल्ली । देश में पटाखा विक्रेताओं को सुप्रीम कोर्ट से थो़ड़ी राहत मिली है। देश की सबसे बड़ी कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि केवल लाइसेंस वाले ही पटाखे बेच सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने रात 8-10 बजे तक पटाखे छोड़ने की अनुमति दी है। वहीं, न्यू ईयर और क्रिसमस की रात 11:45 से 12:30 तक पटाखे चलाने की इजाजत होगी। हालांकि, कोर्ट ने सिर्फ कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की बिक्री को ही मंजूरी दी है। इसके अलावा कोर्ट ने ई-कॉमर्स वेबसाइट से पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।शीर्ष कोर्ट ने 28 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने 2017 में दिल्ली-एनसीआर में दीपावली पर पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी। दरअसल, वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर देशभर में पटाखों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। पीठ ने इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता, पटाखा निर्माता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दलीलों को सुनने के बाद कहा था कि पटाखों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव और इसके व्यापार के बीच एक संतुलन रखना होगा।पीठ का कहना था कि जहां पटाखा निर्माताओं को अपने जीविकोपार्जन का मूल अधिकार प्राप्त है वहीं 130 करोड़ लोगों को भी अच्छे स्वास्थ्य का मूल अधिकार प्राप्त है। सुनवाई के दौरान पटाखा निर्माताओं ने दलील दी थी कि दीपावली के बाद बढ़ने वाले वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ पटाखे जिम्मेदार नहीं हैं और सिर्फ इस वजह से पूरे उद्योग को बंद करने का आदेश देना न्यायसंगत नहीं होगा। सुनवाई के दौरान पीठ ने बच्चों में श्वसन संबंधी दिक्कतों के बढ़ने पर चिंता जताते हुए पटाखों पर पूरी तरह से या फिर आंशिक प्रतिबंध लगाने की बात कही थी।एक पटाखा निर्माता की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम ने तर्क दिया कि अध्ययन के अनुसार, पटाखों पर प्रतिबंध से वायु प्रदूषण पर काफी कम असर पड़ता है और इस मुद्दे पर वैज्ञानिक अध्ययन होना चाहिए।शीर्ष अदालत ने पिछले साल अपने अभिभावक के माध्यम से तीन नाबालिगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीमित अवधि के लिए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। दिवाली पर इस प्रतिबंध में ढील देने से भी इनकार कर दिया था।