गुरुग्राम। पिता के सरकारी गनर (अब बर्खास्त) महिपाल के गुस्से का शिकार होकर दुनिया छोड़ चुके ध्रुव की मौत के बारे में बीमार चल रहे बुजुर्ग दादा देवराज को नहीं बताया गया है। एक परिजन ने बताया कि पुत्रवधू का शव देख कर ही उनकी हालत खराब हो गई थी, जिसके चलते ध्रुव के बारे में सही जानकारी उन्हें नहीं दी गई। हालांकि बुधवार को अंतिम संस्कार से पहले उन्हें पता चल ही जाएगा कि उनका लाडला भी अब इस दुनिया में नहीं है।ध्रुव गुरुग्राम के सेक्टर चौदह स्थित डीएवी स्कूल में पढ़ता था। वह बारहवीं कक्षा का छात्र था। अपने दादा (अधिवक्ता) तथा पिता की तरह ही न्यायिक सेवा से जुड़कर समाज के लिए बेहतर करने की लालसा मन में रहती थी। पढ़ने में भी वह अच्छा था। छोटा भाई राघव भी इसी स्कूल की पांचवी कक्षा में पढ़ रहा है। मां की मौत के बाद वह स्कूल नहीं जा रहा है। देवराज हिसार के माने-जाने अधिवक्ताओं में से एक हैं। वो गरीब व्यक्ति का मुकदमा बगैर फीस लिए लड़ते थे। न्यायिक सेवा में आने के पहले ध्रुव के पिता अतिरिक्त एवं जिला सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत भी वकालत करते थे।पोस्टमॉर्टम हाउस में मौजूद हर व्यक्ति पूरे परिवार की तारीफ करता नजर आया। यहां तक कि महिपाल के छुट्टी जाने पर गनमैन की जिम्मेदारी निभाने वाले सिपाही ने भी न्यायाधीश व उनके पूरे परिवार की तारीफ की। सिपाही ने कहा परिवार ने कभी रौब नहीं दिखाया। वहीं रिश्तेदारों ने कहा वारदात के बाद सोशल मीडिया के जरिए जो बातें सामने आईं वह परिवार को और भी पीड़ा पहुंचाने वाली थीं। उन्हें उम्मीद है कि अदालत आरोपी को सख्त से सख्त सजा सुनाएगी। ध्रुव की मौत की खबर के बाद जिला अदालत में वर्क सस्पेंड की घोषणा कर दी गई। काफी संख्या में अधिवक्ता व न्यायाधीश अस्पताल व पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। सभी ने घटना की निंदा करते हुए पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना जाहिर की। यह भी कहा कि पुलिस आरोपी के खिलाफ जल्द से जल्द चार्जशीट पेश करे ताकि मुकदमा जल्दी शुरू हो सके।छोटे भाई राघव का 28 अक्टूबर को जन्मदिन है। इसके लिए ध्रुव पहले से ही तैयारी करने लगा था। जन्मदिन के लिए तोहफा खरीदने के लिए ही वह 13 अक्टूबर को मां के साथ मार्केट गया था। वहां मन मुताबिक तोहफा नहीं मिलने से वह दूसरी जगह जाना चाहता था।महिपाल गायब मिला तो उसने गुस्सा दिखाया था। उसे क्या पता था कि महिपाल उसके तथा मां के लिए काल बन जाएगा। छोटे भाई का जन्म दिन मनाने की ललक उसके मन में ही रह गई। परिवार से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि मां व बड़े भाई की मौत के बाद राघव भी बेचैन रहने लगा है। परिवार के लोग यही कहते रहे कि बड़ा भाई ठीक होकर आ जाएगा। मगर भगवान को कुछ और ही मंजूर था ध्रुव के शरीर से तीन गोलियों के लगने के निशान मिले हैं। सिर में दो गोलियां आर-पार हुईं। जबकि एक गोली गर्दन में लगी थी। परिवार के लोगों ने अंगदान कर जरूरतमंद व्यक्तियों को नई जिंदगी दी है। इस बात की जितनी भी तारीफ की जाए कम है।