सीबीआइ चीफ आलोक वर्मा पर राकेश अस्थाना ने लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली। सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने याचिका में सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआइ निदेशक खुद पर लगे आपराधिक मामले को छिपाने के लिए उन्हें झूठे मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।वहीं, रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए सीबीआइ के निलंबित डीएसपी देवेंद्र कुमार ने कार्रवाई को आश्चर्यजनक करार देते हुए याचिका में आरोप लगाया कि यह एक संस्था द्वारा अपने अधिकारों को दुरुपयोग करने का उदाहरण है। इससे संस्था की गरिमा के साथ ही कर्मचारियों के मनोबल भी गिरा है। दोनों की याचिका में आरोप लगाया गया है कि कारोबारी सतीश बाबू सना की रिश्वत लेने की जिस शिकायत पर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई, उस पूरे मामले में सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा के साथ जांच एजेंसी के अन्य अधिकारी भी शामिल थे।राकेश अस्थाना ने आरोप लगाया कि सतीश ही वह व्यक्ति है, जिसे वह गिरफ्तार करने वाले थे, लेकिन उनकी देखरेख में बनाया गया विशेष जांच दल मामले की जांच को धीमा करने की साजिश में जुट गया। अस्थाना ने कहा कि उन्होंने सीबीआइ निदेशक के खिलाफ पहले ही उचित प्राधिकारियों से शिकायत की थी, लेकिन अब सीबीआइ निदेशक ने विशेष जांच दल को ही आरोपित बना दिया है एसआइटी के अधिकारियों को आरोपित बना दिया गया है और सीबीआइ निदेशक को देश की सबसे बड़ी एजेंसी के तौर पर पूरी स्वतंत्रता और सुरक्षा दी गई है। उन्होंने कहा कि यह मामला इस बात का पर्दाफाश करेगा कि किस तरह से देश की सबसे बड़ी एजेंसी के एक उच्चपदस्थ अधिकारी एजेंसी के दूसरे शीर्ष अधिकारी को झूठे मुकदमे में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सीबीआइ निदेशक ने सिर्फ अपने ही अधिकारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं की बल्कि जांच अधिकारी के परिसर में छापेमारी भी की। राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार ने दावा किया कि एफआइआर में उन पर लगाए गए आरोपों के आधार पर कोई मुकदमा नहीं बनता है और न ही उनके खिलाफ कोई सुबूत है।दोनों ने सवाल उठाया कि एफआइआर के तहत याचिकाकर्ता व किसी भी लोक सेवक द्वारा कोई धनराशि नहीं लेने की बात कही गई है। उन्होंने हैरानी जताई कि सीबीआइ बिना किसी पुख्ता सुबूत के उनके खिलाफ कैसे रिपोर्ट दर्ज कर सकती है।अस्थाना ने कहा कि यह जांच का विषय है कि सतीश सना और आलोक वर्मा के बीच हुई रिश्वत की डील की शिकायत करने और सना को हिरासत में लेकर पूछताछ करने का प्रस्ताव भेजने के बाद उन पर दर्ज की गई रिपोर्ट की भी जांच होनी चाहिए।केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) में दो बड़े अधिकारियों के बीच छिड़ी महाभारत के बीच बृहस्पतिवार को अहम मोड़ आ गया है। बृहस्पतिवार सुबह छुट्टी पर भेजे गए सीबीआइ चीफ आलोक वर्मा के घर के बाहर उस समय हंगामा मच गया, जब वहां से चार संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया। हैरानी की बातै कि इन चारों के पास आइबी के कार्ड मिले हैं। पता चला है कि बुधवार देर रात चार लोग दो गाड़ियों में सवार होकर आए थे। इसके बाद वे आलोक वर्मा के बाहर चक्कर लगाने लगे। आलोक वर्मा की सुरक्षा में लगे अफसरों को इनकी गतिविधियों पर शक हुआ। जब सुरक्षाकर्मियों ने उनको पकड़ने की कोशिश की, तो वे भागने की कोशिश करने लगे। कुछ देर तक सुरक्षाकर्मियों और उनमें झड़प हुई। इसके बाद चारों को काबू में कर पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया।

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