16 साल का ये लड़का कभी बेचता था गोल गप्पे

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले यशस्वी जायसवाल को इस सत्र के लिए मुंबई की रणजी टीम में शामिल किया गया है। हालांकि, 16 साल के यशस्वी गुरुवार को घोषित हुई 15 सदस्यीय टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन श्रेयस अय्यर को भारत की टी-20 टीम में शामिल किए जाने के बाद मुंबई की टीम में उनके स्थान पर यशस्वी को जगह मिली। मुंबई इस सत्र का अपना पहला रणजी मैच एक से चार नवंबर के दौरान दिल्ली के करनैल सिंह स्टेडियम में रेलवे के खिलाफ खेलेगी। यदि यशस्वी को अंतिम एकादश में शामिल किया जाता है तो वह इस मैच के साथ अपने प्रथम श्रेणी करियर का आगाज करेंगे। भले ही यशस्वी को अय्यर की जगह मुंबई की टीम में शामिल किया गया, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि जिस तरह यशस्वी ने जूनियर स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है उससे यह मानने वालों कि कमी नहीं है कि जल्द ही वह भारतीय टीम में अपने चयन के लिए जोरदार दस्तक देंगे। बायें हाथ के बल्लेबाज और दायें हाथ से लेग स्पिन गेंदबाजी करने वाले यशस्वी अपने खेल से सचिन तेंदुलकर और दिलीप वेंगसरकर जैसे दिग्गज खिलाड़ियों का भी दिल जीत चुके हैं। सचिन ने तो करीब तीन महीने पहले यशस्वी को अपने घर बुलाकर उन्हें अपने ऑटोग्राफ वाला बल्ला तोहफे में देते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी थीं। यशस्वी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और उनके पिता आज भी भदोही में एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं। यशस्वी जब सिर्फ 10 साल के थे तो क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे थे। इसके बाद उनके संघर्षो का दौर शुरू हुआ। मुंबई में वह आजाद मैदान के एक क्लब से जुड़ तो गए, लेकिन उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में वह करीब एक साल तक आजाद मैदान में लगे टेंट में रहे। उन्हें जमीन पर सोना पड़ता था जहां उन्हें चीटिंयां काट खाया करती थीं। गुजारा करने के लिए उन्होंने गोल गप्पे भी बेचे। एक दिन क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह की नजर उन पर पड़ी। यह वही ज्वाला हैं जो हाल ही में टेस्ट पदार्पण करने वाले पृथ्वी शॉ के भी कोच हैं। यशस्वी को ज्वाला अपने साथ ले गए और वहीं से यशस्वी की सफलता के सफर की शुरुआत हुई।

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