गोपेश्वर, चमोली : चीन न केवल भारतीय सीमा तक रेल ट्रैक पहुंचा चुका है, बल्कि अपने सीमा क्षेत्र में जोर-शोर से अन्य सुविधाएं भी विकसित कर रहा है, जो सीधे-सीधे सामरिक तैयारियों से भी जुड़ी हुई हैं। वहीं, भारत में हालात इसके ठीक उलट हैं। सामरिक सजगता की स्थिति का आलम यह है कि चमोली, उत्तराखंड से होते हुए भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क गड्ढों के बीच कहीं खो चुकी है। इसका हाल कच्ची सड़कों से भी बदतर है।
बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) जोशीमठ-नीती हाइवे की दशा क्यों नहीं सुधार पा रहा है, यह एक बड़ा सवाल है। हाइवे पर मलारी से नीती के बीच गड्ढों के ऊपर जानलेवा सफर तय हो रहा है। सड़क की इस स्थिति से सेना व आइटीबीपी ही नहीं, द्वितीय रक्षा पंक्ति कहे जाने वाले स्थानीय गांवों के लोग भी खासे परेशान हैं।
चमोली जिले की नीती घाटी सामरिक दृष्टि से बेहद महत्व रखती है। नीती से आगे भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए चार स्थानों पर आइटीबीपी (इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस) व सेना की चौकियां स्थापित हैं। नीती गांव के ऊपर बमलास चौकी पर आइटीबीपी तैनात है, जबकि इससे आगे गोटिंग में सेना की चौकी है। गोटिंग के बाद सिकपुक में आइटीबीपी और अंतिम चौकी ग्याल्डुंग में सेना व आइटीबीपी दोनों ही तैनात हैं। इन चौकियों तक रसद समेत सैन्य सामाग्री पहुंचाने का एकमात्र माध्यम जोशीमठ-नीती हाइवे ही है।
यही नहीं, मलारी से लेकर नीती तक द्रोणागिरी, गरपक, कागा, गमशाली, बाम्पा, नीती आदि गांवों की आठ हजार से अधिक की आबादी भी निवास करती है। इन गांवों के लोग सरहद पर द्वितीय रक्षा पंक्ति का कार्य करते हैं। बावजूद इसके हाइवे की सुध लेना जरूरी नहीं समझा जा रहा। जोशीमठ-नीती हाइवे पर मलारी से लेकर नीती तक सड़क बीआरओ के पास है। 20 किमी के इस हिस्से में कई जगह डामरीकरण नहीं हुआ है और जहां डामरीकरण है भी, वहां बड़े-बड़े गड्ढे उभर चुके हैं।
नीती निवासी प्रेम सिंह फोनिया बताते हैं कि मलारी से लेकर नीती तक हाइवे लंबे समय से दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहा है। इस संबंध में कई दफा बीआरओ को अवगत कराया गया, लेकिन सड़क सुधारीकरण के लिए कोई पहल नहीं हुई। नीती से आगे सड़क सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) के पास है, जो इससे कुछ बेहतर स्थिति में है।
खस्ताहाल सड़क
सेना व आइटीबीपी के लिए आवाजाही का एकमात्र जरिया है यह हाइवेसवाल सामरिक सजगता का..
जोशीमठ-मलारी हाइवे का हाल, कहीं डामरीकरण नहीं तो कहीं गड्ढों के बीच सड़क
सीमा क्षेत्र की आठ हजार से अधिक की आबादी के लिए भी आवाजाही का एकमात्र जरिया
क्या कहते हैं जिम्मेदार
एसएस मक्कड़ (कमांडर, सीमा सड़क संगठन) का कहना है कि जोशीमठ-मलारी हाइवे की मरम्मत के लिए बीआरओ की ओर से कार्ययोजना तैयार कर दी गई है। जल्द ही सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।