उत्तरकाशी: मोबाइल टावर लगाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले शातिर गिरोह का पर्दाफाश होने के बाद उत्तराखंड में परत-दर-परत मामले खुलने लगने हैं। इस शातिर ठग गिरोह ने पुरोला से लेकर कुमाऊं के धारचूला तक 100 से अधिक लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। उत्तरकाशी के पुलिस उपाधीक्षक मनोज ठाकुर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि गिरोह सरगना रहीम खान पुत्र मोहम्मद खान निवासी डहिया भोजीपुर बरेली, उप्र को पुलिस कस्टडी रिमांड में लेने की तैयारी की जा रही है। जिससे अन्य जिलों में हुई ठगी के नेटवर्क का खुलासा हो सके।
गौरतलब है कि उत्तरकाशी के धरासू थाने में नौ अक्टूबर को पनोथ गांव निवासी जयवर्धन शाह ने 1.39 लाख की ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इससे पहले नौ मई 2018 को उत्तरकाशी के बड़कोट में टावर लगाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपये की ठगी का मामला दर्ज हुआ था। जिसके पुलिस ने मोबाइल नंबर से लेकर खातों की डिटेल खंगाली। मोबाइल टावर लगाने के नाम पर लोगों से शातिराना अंदाज से ठगी करने वाले इस गिरोह को उत्तरकाशी पुलिस ने बरेली के मॉडल टाउन स्थिति सिटी हार्ट सेंटर से 31 अक्टूबर को दबोचा।
गिरोह में शामिल पांच पुरुष और सात महिलाओं को पुलिस एक नवंबर को उत्तरकाशी लाई थी। जिन्हें दो नवंबर को न्यायालय में पेश किया गया। जहां से ये आरोपित न्यायिक हिरासत में नई टिहरी जेल भेजे गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी विवेचना उत्तरकाशी के पुलिस उपाधीक्षक मनोज ठाकुर को दी गई है। उत्तरकाशी पुलिस की जांच में इस गिरोह द्वारा अन्य जिलों में की गई ठगी के मामले खुलने लगने हैं। शनिवार को उत्तरकाशी पुलिस ने इसका पर्दाफाश किय।
टिहरी जनपद के कीर्तिनगर में 13 लाख रुपये की ठगी का मामला भी सामने आया। इसी तरह से तीन लाख रुपये की ठगी का मामला उत्तरकाशी जनपद के पुरोला में सामने आया है। ढाई लाख की ठगी का एक मामला देहरादून के सहसपुर थाना क्षेत्र और दूसरा दो लाख रुपये की ठगी का देहरादून के कालसी थाना क्षेत्र में आया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह का मुख्य आरोपित रहीम खान पुत्र मोहम्मद खान पर इससे पहले लूट, ठगी और चोरी के कुल पांच मुकदमे दर्ज है। जिनमें एक मुकदमा ऊधमसिंह नगर के बाजपुर में तथा चार मुकदमे, उप्र के बरेली में दर्ज हैं।
ये था ठगी करने का तरीका
ठगी करने वाले गिरोह का सदस्य अपने हिसाब से किसी नंबर को डायल कर पूछता था कि हमें आपके क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाना है। जिसके लिए ढाई हजार रुपये की रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती थी। बाद में मोबाइल नंबर बंद किया जाता था। पुलिस को इन ठग गिरोह से 400 से अधिक ग्रामीणों के मोबाइल नंबर मिले हैं तथा उन से ठगी गई राशि की जानकारी मिली है।