15 साल बाद अपने पुराने गढ़ बेल्लारी पर कांग्रेस का कब्जा

बेंगलुरु। कांग्रेस ने बेल्लारी लोकसभा क्षेत्र के अपने पुराने गढ़ में करीब 15 साल बाद जीत हासिल की है। इससे संकेत मिलता है खनिज समृद्ध जिले में रेड्डी बंधु का असर कम हो रहा है। भाजपा के बेल्लारी किले को तोड़ते हुए कांग्रेस के वीएस उगरप्पा ने अपनी प्रतिद्वंद्वी जे शांता को 2,43,161 मतों से शिकस्त दी।शांता, बी श्रीरामुलु की बहन हैं। श्रीरामुलु ने मई में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद इस लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था।बेल्लारी पर कभी खनन उद्योग के बेताज बादशाह रेड्डी बंधुओं की जबर्दस्त पकड़ थी और यह 2004 से भाजपा का गढ़ था। श्रीरामुलु को जनार्दन रेड्डी का करीबी विश्वस्त माना जाता है, लेकिन मई में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनसे दूरी बना ली थी। शांता का मुकाबला करने के लिए उगरप्पा को उतारने के कांग्रेस के फैसले ने ‘बाहरी बनाम अंदरूनी’ की बहस छेड़ दी थी, क्योंकि पार्टी के तीन बार के विधान पार्षद उगरप्पा का नायका (वाल्मिकी) समुदाय से संबंध है जिसका बेल्लारी में प्रभुत्व है। वह मूलरूप से तुमकुरू के पवगाडा के रहने वाले हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि जातीय कारक और तेलुगू भाषा पर अच्छी पकड़, उनकी साफ छवि तथा भाजपा की सरकार के दौरान जिले में अवैध खनन के खिलाफ प्रदर्शन से पार्टी को सियासी जंग में मदद मिली। उन्होंने कहा कि यह वही सीट है जहां 1999 में कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी और अब विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज का आमना सामना हुआ था जिसमें सोनिया गांधी की फतह हुई थी। कांग्रेस ने वरिष्ठ मंत्री डी के शिवकुमार की अगुवाई में प्रचार की अच्छी रणनीति बनाई और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया तथा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा समेत कई नेताओं ने प्रचार किया।उधर, भाजपा सिर्फ श्रीरामुलु और अपने नेताओं पर निर्भर थी। उन्होंने कथित रूप से पूरे दिल से प्रचार नहीं किया।

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