बागेश्वर : गुलदार ने एक साल में छह मासूमों की जान ले ली। वन विभाग ने एक साल में सिर्फ दो आदमखोर मार गिराए हैं। जबकि आठ गुलदार आपसी संघर्ष और अन्य कारणों से मारे गए हैं। तीन गुलदार ¨पजरे में कैद हुए हैं। करीब 84 गुलदार जिले के जंगलों में होने के संकेत वन विभाग दे रहा है। जिले में हर साल तेंदुए मर रहे हैं। पिछले साल नवंबर से इस नवंबर तक आठ तेंदुओं की मौत हुई है। यह आपसी संघर्ष और चोट आदि से मारे गए हैं। जबकि दो आदमखोर भी वन विभाग ने ढेर किए हैं। वन विभाग ने आज से ठीक तीन साल पहले एक सर्वे की थी, जिसमें 84 गुलदार जंगलों में होने की पुष्टि हुई। यहां मारे गए मासूम हरिनगरी, सलखन्यारी, नदीगांव, द्यांगण, छौना।कहा मरे तेंदुए धरमघर, कपकोट, बैजनाथ, गढ़खेत रेंज में अधिक मर रहे तेंदुए। डॉक्टरों के अनुसार निमोनिया, आपसी संघर्ष और प्राकृतिक मौत के कारण ही तेंदुओं की मौत हो रही है। वन्य जीव प्रेमी बोले वन्य जीव प्रेमी बसंत बल्लभ जोशी ने कहा कि तेंदुओं की लगातार मौत ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। तेंदुए गांव और शहर में घुस रहे हैं। विभाग लोगों की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं कर रहा है। जिससे इंसान से भी तेंदुए को संकट पैदा हो गया है। आंदोलन का विगुलसर्वदलीय संगठन के हेम पंत ने कहा कि आठ महीने जंगल में आग रहती है। 21वीं शदी में मासूमों को गुलदार मार रहा है। वह बिल्ली बनकर गांव में घूम रहा है। 15 नवंबर से आर-पार की जंग का एलान किया गया है। गुलदार निमोनिया, आपसी संघर्ष और प्राकृतिक मौत से मर रहे हैं। नई गणना के आधार पर इसके आंकडों की पुष्टि होगी। तेंदुओं की मौत की रिपोर्ट तलब की जाएगी। -आरके ¨सह, डीएफओ, बागेश्वर