नोट बंदी के बाद वर्तमान में किसान और मंडी दोनों ही कैशलैस हैं। ऐसे में आढ़ती, फुटकर व्यापारी और किसान फिलहाल उधारी पर ही भरोसा कर रहे हैं। वजह ये कि अभी कैशलेस व्यवस्था को लेकर वो आत्मविश्वास नहीं आ रहा, जिसकी दरकार है।
हालांकि, अब वे समझने लगे हैं कि बदली परिस्थितियों में कारोबार कब तक उधारी पर चलेगा। आज नहीं तो कल उन्हें कैशलेस व्यवस्था का हिस्सा बनना ही पड़ेगा। सो, धीरे-धीरे इस नई सोच का बीजारोपण होने के साथ ही उनके बीच भुगतान के लिए चेक, स्वाइप मशीन के इस्तेमाल को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है।
500 व 1000 रुपये के नोट बंद होने का असर किसान से लेकर आढ़ती व फुटकर विक्रेता, सभी पर पड़ा है। सब्जी मंडी भी इससे अछूती नहीं है। मंडी में कारोबार तो हो रहा, लेकिन किसान, आढ़ती व फुटकर विक्रेता तीनों के पास कैश का अभाव है। ऐसे में कारोबार भी सिमटकर आधे पर आ गया है।
देहरादून की निरंजनपुर मंडी का आलम तो कुछ ऐसा ही है। पर, इसका ये मतलब तो कतई नहीं कि सबकुछ अपने हाल पर छोड़ दिया जाए।
कैशलैस से निबटने के लिए सभी ने उधारी का रास्ता अख्तियार किया हुआ है। किसानों की आढ़तियों पर तो आढ़तियों की फुटकर विक्रेताओं पर उधारी बढ़ रही है।
हालांकि, कैशलैस व्यवस्था के तौर पर चेक अथवा प्लास्टिक मनी के इस्तेमाल को लेकर वे अब तक उदासीन से थे, मगर अब इस बारे में मंथन करने लगे हैं। वजह ये कि देर-सबेर तो उन्हें इस व्यवस्था का हिस्सा बनना ही पड़ेगा।
30 लाख की दुकानदारी, 28 लाख की उधारी
दून की निरंजनपुर मंडी के कारोबार पर नजर दौड़ाएं तो वहां रोजाना 300 टन सब्जियों की बिक्री होती है, जो अब 150 से 200 टन पर आ गई है। उस पर उधार बिक्री में भी 25 फीसद का इजाफा हुआ है। नकदी के टोटे की वजह से आढ़ती, फुटकर व्यापारियों को 95 से 98 फीसद तक सब्जी उधार में दे रहे हैं। आंकड़े देखें तो मंडी में इस वक्त आढ़ती रोजाना करीब 30 लाख की बिक्री कर रहे, जिसमें से करीब 28 लाख रुपये की सब्जी उधार जा रही है।
निरंजनपुर मंडी की स्थिति
-300 टन होती थी नोट बंदी से पहले रोजाना सब्जी की बिक्री
-3000 फुटकर व्यापारी पहुंचते थे पहले मंडी, अब आ रहे सिर्फ 1500 से 2000
-30 लाख रुपये के करीब रह गई रोजाना की बिक्री
-02 लाख रुपये रोजाना ही मिल रहे नकद।
ये हो रही दिक्कत
-नकदी न होने से किसानों को नहीं कर पा रहे भुगतान।
-किसान चेक या नकदी खाते में ट्रांसफर कराने में नहीं कर रहे विश्वास।
-अधिकांश फुटकर व्यापारी प्लास्टिक मनी से अंजान हैं।
इन उपायों पर हो रहा मंथन
-स्वाइप मशीन लगाने पर विचार कर रहे आढ़ती।
-चेक से भुगतान लेने व किसानों से चेक स्वीकार करने की अपील।
-पेटीएम के जरिये भुगतान लेने व करने की व्यवस्था।
कैशलैस व्यवस्था को लेकर कसरत शुरू
आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र आनंद के मुताबिक हमारे पास कैश नहीं है। ऐसे में न किसानों को ठीक से भुगतान हो पा रहा है, न फुटकर व्यापारी ही हमारी उधारी चुका पा रहे हैं। फिलहाल मंडी उधारी पर चल रही है। हालांकि, कैशलैस व्यवस्था को लेकर कसरत चल रही है।