रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की की एक और शोध छात्रा ने एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दी है। हरिद्वार की एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल ने मामले की जांच के लिए दो पुलिस उपाधीक्षकों की कमेटी गठित की है। इसी की रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हालिया तहरीर देने वाली शोध छात्रा ने 15 दिसंबर को मोबाइल पर मैसेज भेजकर प्रोफेसर की शिकायत की थी। अब उसने सिविल लाइंस कोतवाली पहुंचकर तहरीर दी। इसमें शोधार्थी ने प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
एसएसपी ने बताया कि जिस प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं, उस पर 19 दिसंबर को एक अन्य शिकायत के आधार पर छेड़छाड़ और एससीएसटी का मुकदमा दर्ज हुआ था। एसएसपी ने बताया कि हालिया शिकायत की जांच के लिए कनखल के पुलिस उपाधीक्षक स्वप्न किशोर ङ्क्षसह और रुड़की के पुलिस उपाधीक्षक चंदन सिंह बिष्ट की कमेटी बनाई गई है। कमेटी तीन दिन में रिपोर्ट देगी।
दर्ज नहीं हो सके बयान
पूर्व में प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाली शोधार्थी के शुक्रवार को बयान नहीं हो सके। विवेचना कर रहे पुलिस उपाधीक्षक रुड़की चंदन सिंह बिष्ट शोधार्थी को जिला एवं सत्र न्यायालय में बयान दर्ज कराने के लिए ले गए। किसी कारणवश बयान दर्ज नहीं हो सके।
अमेरिकी महिला का जवाब आया पर आधा अधूरा
अमेरिका की महिला ने ई-मेल से एसएसपी को जवाब भेजा है। ई-मेल के माध्यम से महिला ने बताया कि उसे घूर घूरकर जिस तरह से देखा गया वह उसे अशोभनीय लगा। इसके अलावा उसके साथ गलत व्यवहार किया गया। महिला ने आइआइटी के तीन प्रोफेसरों पर उत्पीडऩ के आरोप लगाए थे
हरिद्वार की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि तीन साल पहले आइआइटी के असिस्टेंट प्रोफेसर की एक महिला मित्र जो पेशे से उपन्यासकार है, उनसे मिलने के लिए अमेरिका से रुड़की आई थी। इस दौरान उसे आइआइटी में अतिथि शिक्षक के तौर पर छात्रों को संबोधित करने का भी मौका दिया गया था। इसके बाद महिला यहां से चली गई थी।
कुछ दिन पहले अमेरिका की महिला ने पुलिस मुख्यालय को ई-मेल से शिकायत भेजकर आइआइटी में तीन प्रोफेसर पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। एसएसपी ने इस मामले में 13 दिसंबर को लक्सर एएसपी रचिता जुयाल को जांच सौंपी थी। एएसपी ने आइआइटी में प्रोफेसरों के बयान दर्ज किए थे। हालांकि महिला के उत्पीड़न के आरोपों को गलत बताते हुए दावा किया गया था कि महिला के पढ़ाने का तरीका सही नहीं होने की बात कहीं गई थी। जिस पर वह नाराज होकर चली गई थी।
पुलिस ने जांच में साक्ष्य और जानकारी जुटाने के लिए के लिए ई-मेल कर शिकायतकर्ता से संपर्क साधा था। पुलिस की तरफ से दो ई-मेल भेजी गई थी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया था। गुरुवार को अमेरिकी महिला ने ई-मेल कर पुलिस से संपर्क साधा। महिला ने बताया कि उसे गलत तरीके से देखा गया और टिप्पणी की गई। इस तरह के व्यवहार से वह काफी दुखी है।
एसएसपी ने बताया कि इस ई-मेल में भी महिला की तरफ से इतनी ही जानकारी दी गई है। पुलिस ने महिला से और भी जानकारी मांगी जा रही है, ताकि जांच आगे बढ़ सके।
फैकल्टी और छात्रों ने प्रोफेसरों के समर्थन में निकाली रैली
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की की एक अनुसूचित जाति की शोधार्थी के यौन उत्पीड़न और उसे जातिसूचक शब्द कहने के आरोपित संस्थान के प्रोफेसरों के समर्थन में फैकल्टी और छात्र मेन बिल्डिंग में एकत्रित हुए और काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्वक रैली निकाली। साथ ही, शोधार्थी की ओर से प्रोफेसरों पर लगाए गए आरोपों को गलत ठहराया।
संस्थान की मेन बिल्डिंग परिसर में बड़ी संख्या में विभिन्न भागों के प्रोफेसर्स और छात्र-छात्राएं एकत्र हुए। यहां पर एकत्रित हुए फैकल्टी और छात्रों ने काली पट्टी बांधी और इसके बाद मेन बि¨ल्डग परिसर का चक्कर लगाते हुए पुस्तकालय के बाहर पहुंचे। छात्रों ने हाथों में बैनर लेकर प्रोफेसरों का समर्थन किया। छात्रों का आरोप था कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर प्रोफेसरों के खिलाफ कार्रवाई की है।
वहीं शोधार्थी के समर्थन में आए बाहरी संगठनों को केवल शोधार्थी के ही नहीं बल्कि प्रोफेसरों के पक्ष को भी जानने का अनुरोध किया। साथ ही आशंका जताई कि संस्थान के कुछ लोगों की ओर से बाहरी संगठनों के साथ मिलकर इस मामले को तूल दिया जा रहा है। उधर, शाम के वक्त इस प्रकरण को लेकर छात्रों ने परिसर में कैंडल मार्च निकाला गया।
पुख्ता सबूत के बिना न हो गिरफ्तारी
आरोपित प्रोफेसरों के समर्थन में संस्थान परिसर में एकत्रित हुए प्रोफेसरों ने एक स्वर में कहा कि जब तक दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ पुलिस को पुख्ता सबूत नहीं मिल जाते, तब तक किसी भी सूरत में उनकी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए।
प्रोफेसरों ने बताया कि शोधार्थी की शिकायत से पहले प्रोफेसरों ने संस्थान प्रशासन से छात्रा के आक्रामक रवैये, गलत व्यवहार और अनुशासनहीनता की शिकायत की थी। इसके बावूजद उचित कार्रवाई नहीं हुई। शोधार्थी के झूठे आरोपों पर पुलिस ने प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
फर्स्ट नेम से जानते थे, अब पूछनी पड़ रही जाति
मेन बिल्डिंग परिसर में इकट्ठा हुई छात्राओं ने कहा कि संस्थान परिसर में हम एक-दूसरे को उसके फर्स्ट नेम से जानते हैं। हम लोग पढ़ाई में इतने व्यस्त होते हैं कि किसी से उसकी धर्म, जाति के बारे में पूछने का समय ही नहीं लगता है और न ही वे इसमें कोई रुचि लेते हैं।
वहीं उनके प्रोफेसर की ओर से भी कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। ऐसे में उनके प्रोफेसर की ओर से शोधार्थी को जातिसूचक शब्द कहने का सवाल ही नहीं उठता है। एक छात्रा ने कहा कि अभी तक वह किसी की जाति नहीं पूछती थीं, लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने अपने दोस्तों से उनकी जाति पूछनी शुरू कर दी है, इस डर से कि कहीं अगले दिन उन पर कोई इस तरह का आरोप नहीं लगा दे।
वहीं शिकायत करने वाली शोधार्थी के साथ लैब में काम करने वाली एक छात्रा ने बताया कि वह अक्सर कहती थी कि सर को बर्बाद कर देगी। वहीं शोधार्थी के साथ लैब में काम करने वाली अन्य छात्राओं ने भी प्रोफेसर पर लगाए गए आरोपों को झूठा बताया।
ऐसे तो संस्थान में बढ़ जाएगा भेदभाव
आइआइटी रुड़की की एक शोधार्थी की ओर से संस्थान के दो प्रोफेसरों पर यौन उत्पीड़न और जातिसूचक शब्द कहने का आरोप लगाया है। छात्र-छात्राओं ने कहा कि ऐसे तो संस्थान परिसर में जाति एवं लिंग के आधार पर भेदभाव बढ़ जाएगा। क्योंकि शोधार्थी की ओर से प्रोफेसरों पर गलत आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में भय के कारण कोई भी फैकल्टी किसी भी छात्रा का गाइड एवं सुपरवाइजर बनने को तैयार नहीं होगा।
पीएमओ एवं मंत्रालय को लिखा पत्र
छात्रों ने बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखा है। इसके जरिए शोधार्थी की ओर से जिन प्रोफेसरों पर आरोप लगाए गए हैं, उनका समर्थन किया गया है। साथ ही, इस मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की है। वहीं छात्रों ने कहा कि यदि पुलिस की ओर से प्रोफेसरों को गिरफ्तार करने का प्रयास किया जाएगा तो वे कहेंगे कि पहले उन्हें गिरफ्तार किया जाए।