प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों के लिए भाजपा नेताओं व उम्मीदवारों की तो लंबी कतार होती ही है। पार्टी की नई कवायद के बाद शायद स्थानीय जनता को भी इसका इंतजार होगा। भाजपा ने तय किया है कि रैलियों का असर भाजपा के राजनीतिक सफर पर तो पड़े ही , उस क्षेत्र विशेष की स्वच्छता पर स्पष्ट छाप बनी रह जाए।
भाजपा ने सभी प्रदेश अध्यक्षों, प्रदेश संगठन महामंत्रियों और राज्यों का प्रभार देख रहे राष्ट्रीय प्रभारियों को प्रधानमंत्री की रैलियों के बाबत निर्देश दिया है। जिस भी शहर या कस्बे में प्रधानमंत्री की रैली होगी वहां कम से कम दस दिन तक पार्टी विशेष स्वच्छता अभियान चलाएगी। रोजाना केंद्रीय कार्यालय को इसकी फोटो और रिपोर्ट भी भेजनी होगी कि तुलनात्मक रूप से कितनी सफाई हुई। इस सामाजिक अभियान को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के माइक्रो मैनेजमेंट का भी हिस्सा माना जा रहा है।
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चुनावी राज्यों में शुरू हुए अभियान के बीच यह भी सुनिश्चित कर लिया गया है कि मंच पर नेताओं की संख्या सीमित हो। राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह की ओर से चार दिन पहले लिखे गए पत्र में आठ बिंदुओं पर नेताओं को सलाह दी गई है। चुनावी राज्यों में अब प्रधानमंत्री के साथ मंच पर अधिकतम 11 लोग होंगे। जबकि दूसरे राज्यों में इसकी संख्या अधिकतम सात होगी। स्पष्ट है कि किसी भी क्षेत्र विशेष में संबंधित सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष के अलावा केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्रियों व राज्य प्रभारियों के लिए जगह होगी।
पत्र में अधिकतर बिंदु प्रबंध और व्यवस्था से जुड़े हैं लेकिन स्वच्छता का प्रावधान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर है। इसकी निगरानी भी सख्त होगी। सूत्र के अनुसार दस दिन पहले से अभियान चलाने से उस क्षेत्र की जनता में जागरुकता भी आएगी और उस कार्य के जरिए भाजपा से लगाव भी बढ़ेगा। यह लगाव जाति पाति से अलग हटकर होगा।
इसके लिए क्षेत्र विशेष का कोई पदाधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार होगा। बताते हैं कि आगे यह कोशिश की जाएगी कि जिस जिस क्षेत्र में प्रधानमंत्री दौरा करें कम से कम वहां स्वच्छता का माहौल हमेशा के लिए बरकरार रहे। दरअसल मोदी और शाह केंद्र में अपनी पारी की शुरूआत से ही सामाजिक अभियान के जरिए राजनीतिक पैठ की बात करते रहे हैं। इस क्रम में प्रधानमंत्री महात्मा गांधी का उदाहरण भी पेश करते रहे हैं। स्वच्छता प्रधानमंत्री के शुरूआती अभियानों में से एक रहा है। शाह माइक्रो मैनेजमेंट के माहिर माने जाते हैं। नए मायने में स्वच्छता भी इसका हिस्सा होगा।