बीरपुर पुल टूटने से 50 गांव और सैन्य क्षेत्र का गढ़ी चौक तक का आवागमन हुआ प्रभावित

देहरादून। बीरपुर पुल टूटने से जैंतनवाला, संतला देवी समेत 50 गांव और सैन्य क्षेत्र का गढ़ी चौक तक का आवागमन प्रभावित हो गया। सैन्य क्षेत्र समेत इन गांवों के लोगों को अब गढ़ी चौक आने के लिए एफआरआइ व बल्लूपुर होते हुए दस किलोमीटर से भी अधिक का चक्कर लगाना होगा। पुल टूटने से शुक्रवार को कई स्कूलों के बच्चे जहां स्कूल नहीं पहुंच सके। वहीं स्थानीय लोगों को भी आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। टौंस नदी पर बने पुल के जर्जर होने के बाद भी स्थानीय लोगों की यह सबसे बड़ी जरूरत थी।

जैंतनवाला, संतला देवी, बीरपुर एस्टेट, चौकी धौलास समेत 50 से अधिक गांवों के लोगों का गढ़ी कैंट होते हुए शहर आने का आसान रास्ता था। वहीं इन गांवों में रोजमर्रा की जरूरतों के साथ एंबुलेंस आदि भी इसी मार्ग से गुजरती थीं। प्रसिद्ध संतला देवी मंदिर जाने का तो यह प्रमुख रास्ता था। इस वजह से यहां बाहर के लोग भी गुजरते थे। पुल की दशा से स्थानीय लोग पूरी तरह वाकिफ थे और वह दर्जनों बार शासन-प्रशासन को पत्र भेज कर संभावित हादसे को लेकर आगाह करते रहे, लेकिन स्थानीय लोगों की बात किसी ने नहीं सुनी।

धमाका सुन चौंक पड़े लोग 

शुक्रवार तड़के पुल टूटने से हुई आवाज से घरों में सो रहे लोग चौंक पड़े। पहले तो लोगों को लगा कि मार्ग पर किसी वाहन की जोरदार टक्कर हो गई है, लेकिन जब लोग घरों से बाहर आए तो पुल गायब देख उनके होश उड़ गए। कुछ लोगों ने किनारे पर जाकर देखा तो पूरा पुल नदी में गिरा था और उसमें एक डंपर पलटा हुआ था, साथ ही दो बाइक भी पड़ी हुई थी। गिरे लोगों की कराह और गुहार ऊपर तक सुनाई दे रही थी।

सदमे में मृतकों के परिवार 

हादसे का शिकार बने प्रेम थापा सैन्य क्षेत्र की कैंटीन में काम करते थे। शुक्रवार सुबह कैंटीन जाने के लिए घर से निकले थे, लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। हादसे की खबर पाकर मौके पर पहुंची उनकी पत्नी सुनीता थापा रह-रह बेहोश हो जा रही थीं। वहीं, फौज से रिटायर धन बहादुर थापा पुलिस लाइन में परिवहन शाखा में संविदा पर कार्यरत थे। धन बहादुर की मौत से उनका परिवार भी गहरे सदमे में है।

खुदा का शुक्र अदा करता रहा परिवार 

करीब 70 फीट गहरी खाई में डंपर समेत गिरे उसके चालक जुल्फान और शाहरुख को चोटें तो आई, लेकिन उनकी जान बच गई। कैंट इंस्पेक्टर अरुण कुमार सैनी ने बताया कि शाहरुख को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि जुल्फान का अभी इलाज चल रहा है। दोनों सगे भाइयों को जिंदा देख उनके परिजन खुदा का शुक्र अदा करते नहीं थक रहे थे।

बोले लोग

  • पंडित आरके शर्मा (पुजारी संतला देवी) का कहना है कि बीरपुर का यह पुल काफी पुराना था और जर्जर हो चुका था। फिर भी लोगों का इस पर से गुजरना मजबूरी थी। स्थानीय लोग बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर यह नए पुल निर्माण की मांग कर रहे थे। समय से चेत जाते तो यह हादसा टाला जा सकता था।
  • दीपक पाल निवासी गढ़ी कैंट का कहना है कि बीरपुर की ओर जाने का यह सबसे आसान विकल्प था। अब कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ेगा। पुल की समय-समय पर मरम्मत होती तो यह हादसा नहीं होता।
  • देवेंद्र गुप्ता निवासी गढ़ी कैंट का कहना है कि पुल के जर्जर होने के बाद भी इस पर से रोज डंपर व अन्य भारी वाहन गुजरते थे। पुल के संकरा होने से वैसे भी हर वक्त हादसा होने का खतरा बना रहता था। नियंत्रित आवागमन से हादसे को रोका जा सकता था।
  • ईश्वर सिंह निवासी गढ़ी कैंट का कहना है कि जब तक बीरपुर में नया पुल नहीं बनता, तब तक के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। ताकि जैंतनवाला की ओर से गढ़ी चौक की ओर आने वालों को बेवजह आधे शहर का चक्कर न लगाना पड़े।

बोले सीएम और विधायक

  • मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बीरपुर में पुल गिरने की घटना पर गहरा दुख हुआ। घटना में मृतकों की आत्मा की शांति व घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।
  • हरबंस कपूर (कैंट विधायक) का कहना है कि बीरपुर पुल टूटने के पीछे कहीं न कहीं लापरवाही छिपी है। इसके लिए जो भी दोषी है, उसके खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए। सवाल यह भी है कि जब पुल जर्जर हो चुका था तो उस पर से भारी वाहन कैसे गुजर रहे थे। इसकी जांच होनी चाहिए।

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