देहरादून। कांग्रेस ने गरीब सवर्णों को आरक्षण की परिधि में लाने के केंद्र की मोदी सरकार के फैसले पर तल्ख टिप्पणी की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया जुमला करार दिया है। उधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता धीरेंद्र प्रताप ने राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण संबंधी विधेयक राजभवन से वापस किए जाने पर सख्त आपत्ति जताई है।
एक बयान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने निराशाजनक कार्यकाल के अंतिम दौर पर ऐसे मोड़ पर हैं कि विपक्ष के साथ ही अपने गठबंधन के निशाने पर हैं। ऐसे में गरीब सवर्णो को दस फीसद आरक्षण का दांव सहयोगियों को साधने के साथ ही राफेल घोटाले, राम मंदिर समेत अन्य मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की नीयत से उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के आम चुनाव में युवाओं को दो करोड़ नौकरियां हर साल देने का वायदा जुमला साबित होकर रह गया है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि दस फीसद आरक्षण की बात तो की गई है, लेकिन 49.5 फीसद आरक्षण की सीमा में यह कहां समायोजित होगा, यह सवाल मौजूद है। उक्त आरक्षण के लिए संविधान संशोधन लाने और इसे दोनों सदनों में पारित कराने के सवाल भी अनुत्तरित हैं। उधर, प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रचार समन्वयक धीरेंद्र प्रतान ने केंद्र सरकार के फैसले को चुनावी स्टंट करार दिया।
उन्होंने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार आरक्षण देने का दावा कर रही है, दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को दिया गया 10 फीसद आरक्षण छीन लिया गया है। राजभवन ने राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण से संबंधित विधेयक सरकार को वापस कर दिया है। यह आंदोलनकारियों का अपमान है। उन्होंने मुख्यमंत्री से तत्काल राज्य आंदोलनकारियों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की।