देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। यहां न केवल सुविधाओं और संसाधनों का टोटा है, बल्कि अव्यवस्था का मर्ज भी मरीजों की मुसीबत की वजह बन रहा है। अब कॉलेज में एक नया संकट उत्पन्न हो गया है। मेडिकल कॉलेज में कॉन्ट्रैक्ट पर तैनात फैकल्टी का अनुबंध एक-एक कर खत्म होने लगा है। यह विपदा इसलिए भी बड़ी है क्योंकि अगले कुछ वक्त में एमसीआइ कॉलेज के पुनर्निरीक्षण को पहुंचने वाली है। गत वर्ष सितंबर में हुए निरीक्षण में टीम पहले ही फैकल्टी की कमी को इंगित कर चुकी है।
कॉलेज की शुरुआत के समय तत्काल व्यवस्था के तहत प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर तीन वर्ष के कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किए गए थे। तीन वर्ष बीतने के बाद सरकार भी कॉलेज को स्थायी प्राचार्य मिला न ही स्थायी फैकल्टी।
गत वर्ष 138 असिस्टेंट प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति का विज्ञापन जरूर जारी किया था। एक अरसा बीत जाने के बाद भी अभी तक उक्त पदों पर नियुक्ति नहीं की गई है। इस बीच कॉन्ट्रैक्ट पर रखी फैकल्टी का तीन वर्ष का अनुबंध पूरा होने लगा है।
हाल में 12 फैकल्टी, जिनमें प्रोफेसर एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं, उनका कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो गया है। मार्च तक सभी प्राध्यापकों का अनुबंध समाप्त हो रहा है। यह हाल तब है, जब चिकित्सा शिक्षा के विभाग का जिम्मा स्वयं सूबे के मुख्यमंत्री के पास है।
सवाल यह कि क्या अनुबंध पूर्ण होने से पहले ही कदम नहीं उठाए जाने चाहिए थे। खासकर तब, जब दो माह बाद ही छात्रों की परीक्षाएं होनी हैं। अनुबंध समाप्त होने के बाद फैकल्टी अभी भी मेडिकल कॉलेज से लेकर दून चिकित्सालय में कार्य कर रहे हैं। पर इसमें तकनीकी अड़चन है।
अनुबंध विस्तारित न होने पर वह मेडिकोलीगल समेत अन्य कार्य नहीं कर सकते। चिकित्सीय परामर्श व उपचार को लेकर यदि कोई आपात स्थिति आती है तो मामला अनुबंध पर आकर फंस जाएगा।
इधर, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने किसी भी तरह की दिक्कत से इन्कार किया। उनका कहना है कि वक्त जरूर लगा है, पर अनुबंध विस्तारित किया जा रहा है।
कर्मचारियों का वेतन अटका, तमाम भुगतान भी
दून मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य पास वित्तीय अधिकार हैं और न ही चिकित्सा अधीक्षक के पास। ऐसे में अजब हालात पैदा हो गए हैं। न केवल तमाम भुगतान बल्कि कर्मचारियों का वेतन भी अटक गया है। तनख्वाह न मिलने से कर्मचारियों में रोष है। वहीं, अस्पताल पर देनदारियां भी बढ़ती जा रही हैं।
बता दें, दिसंबर में दून मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता की प्रतिनियुक्ति समाप्त हो गई थी। इसके बाद शासन ने कॉलेज के ही प्रोफेसर डॉ. नवीन थपलियाल को प्रभारी प्राचार्य नियुक्त किया था। लेकिन उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं दिए। वहीं, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के पास भी वित्तीय अधिकार नहीं हैं। ऐसे में, कॉलेज के अस्थायी कर्मचारियों का वेतन लटक गया है।
संविदा कर्मचारियों को वेतन हर माह की दस तारीख से पहले मिलता है। वहीं, बुधवार को भी सफाई कर्मचारियों समेत अन्य संविदा कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला, जिससे उनमें खासा रोष है।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ आशुतोष सयाना ने बताया कि शासन स्तर पर इस संबंध में जल्द कार्रवाई होने वाली है। फिलहाल अस्पताल में ऐसा कोई बड़ी दिक्कत नहीं है। इधर, मेडिकल कॉलेज के स्थायी अधिकारियों की तनख्वाह भी इस बार नहीं मिल सकी है। बताया गया कि बजट की कमी के कारण तनख्वाह नहीं आई है।