हल्द्वानी: उत्तराखंड परिवहन निगम की कमाई लगातार कम हो रही है। यह हकीकत निगम की नौ महीने की रिपोर्ट से उजागर हुई है। पिछले वर्ष अप्रैल से दिसंबर तक निगम को कुल 19 करोड़ 96 लाख व 31 हजार का घाटा हुआ है। निगम की अनदेखी और तमाम कारणों की वजह से निगम घाटे से नहीं उबर पा रहा है।
घाटे में जाने का बड़ा कारण
निगम का तर्क है कि पहाड़ी क्षेत्रों में चलने वाली बसों से आय कम हो रही है। कर्मचारियों के समय-समय पर मांगों को लेकर हड़ताल करने से भी आय प्रभावित होती है। निगम के अनुसार, पहाड़ी क्षेत्रों में लोड फैक्टर बहुत कम है और इन रूटों पर ज्यादातर यात्री सरकार की ओर से दी गई छूट योजना के अंतर्गत आने वाले ही होते है। पहाड़ी क्षेत्रों में गाड़ियां कम माइलेज देती हैं। जिस कारण तेल का खर्चा बढ़ जाता है। सरकार की ओर से भी निगम को समय पर मेंटीनेंस के लिए बजट न दिए जाने के कारण कई गाड़िया डिपो में पार्ट्स व टायर के अभाव में खड़ी रह जाती है। नैनीताल जिले में वर्ष 2018 में कुल 4511 बसें मेंटीनेंस न होने व अन्य कारणों से प्रभावित रहीं। निजी वाहनों की डग्गामारी भी निगम की आय कम करने का कारण है
घाटा होने के कई कारण हैं। इसे दूर करने के लिए निगम प्रयासरत है। मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों के अधिक यात्रियों वाले मार्गो पर बसों की संख्या बढ़ाने के लिए भी कार्य कर रहा है। इससे निगम की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
-यशपाल सिंह, मंडलीय महाप्रबंधक संचालन, काठगोदाम डिपो
ये है प्रतिमाह नफा-नुकसान की स्थिति
अप्रैल में 10.42 लाख, जून में 32.67 लाख, जुलाई में 398.653 लाख, अगस्त में 296.95 लाख, सितंबर में 474.31 लाख, अक्टूबर में 391.69 लाख, नवंबर में 198.10 लाख, दिसंबर में 259.01 लाख रुपये का घाटा हुआ, जबकि इस बीच अनुबंधित बसों से 134.47 लाख रुपये का फायदा हुआ। इस दौरान निगम को केवल मई में 31 लाख का मुनाफा हो सका।