देहरादून। फर्जीवाड़े से कार बेचने के मामले में एक आरोपित के आरटीओ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत के कबूलनामे के बाद पुलिस अब आरटीओ कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच करेगी। इसके लिए पुलिस आरोपित से दोबारा पूछताछ की तैयारी कर रही है। एसपी सिटी श्वेता चौबे ने बताया कि अगर इसमें कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
विदित है कि 26 जनवरी को थाना राजपुर में यह फर्जीवाड़ा सामने आया था। जिसमें पुलिस ने तीन लोगों नसीम अख्तर, संजय कुमार व उपेंद्र सकलानी को गिरफ्तार किया था। आरोपित पुराने गाडिय़ों के इंजन दूसरे गाडिय़ों पर लगातार उन्हें बेचने का काम करते थे। बाकायदा वह स्वयं ही आरटीओ से आरसी, ट्रांसफर पेपर आदि तैयार करवाकर ग्राहकों को देते थे। आरोपितों में नसीम अख्तर मैकेनिक था और गैराज उसी ने खोल रखा था। संजय कुमार व उपेंद्र सकलानी उसके पार्टनर थे।
संजय कुमार नसीम को इंजन व गाडिय़ों के पाट्र्स लाकर देता था और नसीम उन इंजनों को पुरानी गाडिय़ों में फिट व चेसिस नंबर बदलकर ग्राहकों को बेच देता था। आरोपित उपेंद्र सकलानी ने बताया था कि उसकी आरटीओ ऑफिस में अच्छी जान पहचान है। सेटिंग होने के कारण वह गाडिय़ों का बिना फिजिकल निरीक्षण कराए ही उनके कागजात एक स्वामी से दूसरे स्वामी के नाम पर ट्रांसफर करा देता था। उपेंद्र के कबूलनामे के बाद अब पुलिस आरटीओ कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। एसपी सिटी ने बताया कि उपेंद्र से दोबारा पूछताछ की जाएगी।
अरविंद पांडे (एआरटीओ प्रशासन) का कहना है कि यदि किसी गाड़ी का इंजन खराब हो जाता है और उस पर दूसरा इंजन लगाया जाता है तो इसकी सूचना 14 दिन के अंदर आरटीओ कार्यालय को देनी होती है। इसके बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर गाड़ी की नई आरसी जारी की जाती है और नया इंजन नंबर दर्ज किया जाता है। इंजन बदलने से पहले भी अनुमति लेने का प्रावधान है। अभी पुलिस ने हमसे संपर्क नहीं किया है। हमारे कार्यालय से किसी तरह की चूक नहीं हुई है। यदि गाडिय़ों के इंजन बदले गए हैं और उनके मालिकों ने आरटीओ को सूचना नहीं दी है तो एमवी एक्ट में कार्रवाई का प्रावधान है।