देहरादून। करीब 115 साल पुराने बीरपुर पुल के ढह जाने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर जो वैली ब्रिज बनाया गया है, उसके पुश्ते पर दरार नजर आ रही है। इसकी जानकारी कांडली गांव की निवासी नीलम शिवरैन ने जिलाधिकारी व लोनिवि अधिकारियों को दी।
महिला का आरोप है कि अधिकारी शिकायत पर संज्ञान लेने के बजाय इसे नजरंदाज कर रहे हैं। जिससे लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह दरार गढ़ी कैंट की तरफ से आते हुए पुल के एबटमेंट (जोड़ने वाली दीवार) के नीचे के पुश्ते पर दिख रही है। नीलम शिवरैन दरार की फोटो खींचकर जिलाधिकारी के पास पहुंची थीं। उन्होंने बताया कि जल्दबाजी में वैली ब्रिज को तैयार किया गया है और दरार की तरफ ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन ने फोन पर कार्यदायी संस्था प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता से बात कराकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। जबकि अधिशासी अभियंता ने दरार को ठीक करने की जगह यह कह दिया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। यह पुल मजबूत है।
नीलम ने सेना के अधिकारियों को भी यह जानकारी दी और उन्होंने भी दो टूक जवाब दिया कि वैली ब्रिज से उनका कोई लेना-देना नहीं है। दरार पहले से थी: ईई लोनिवि के अधिशासी अभियंता (ईई) जगमोहन सिंह चौहान का कहना है कि वैली ब्रिज पुराने पुल के स्थान के करीब बनाया गया है। यहां पर जो पुश्ता पहले से बना था, उसके ऊपर एबटमेंट बनाया गया है।
यह 60 सेंटीमीटर ऊंचा, सात मीटर लंबा व 1.50 मीटर चौड़ा है। एबटमेंट मजबूत है और पहले से बने जिस पुश्ते पर दरार दिख रही है, उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। लोनिवि लोगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है, यदि कोई खामी नजर आती तो उसे पहले ही दूर कर लिया जाता।