उत्‍तराखंड में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर करीब 40 हजार ड्राइविंग लाइसेंस हुए सस्पेंड

देहरादून। ट्रैफिक पुलिस ने यातायात के छह नियम तोड़ने पर 39 हजार, 922 लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) सस्पेंड किए हैं। यह कार्रवाई एक साल यानि 2018 में हुई है। 2017 में मात्र 5839 के खिलाफ इन मामलों में कार्रवाई की गई थी। सबसे ज्यादा कार्रवाई मोबाइल पर बात करते हुए 13 हजार, 720 लोगों के खिलाफ हुई। ट्रैफिक निदेशालय ने सभी सस्पेंड डीएल की रिपोर्ट परिवहन विभाग को भेज दी है। प्रदेश में ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की संख्या हर साल बढ़ रही है। पुलिस ने 2018 में सड़क दुर्घटना रोकने के लिए छह महत्वपूर्ण नियम रेड लाइट जंप, तेज रफ्तार से वाहन चलाने, मालवाहक वाहन में ओवर लोडिंग व यात्रियों को ढोने, वाहन चलाते वक्त मोबाइल का प्रयोग करने और नशे में वाहन चलाने पर चालक का डीएल सस्पेंड की कार्रवाई की। इन सभी नियमों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से कार्रवाई के निर्देश देशभर की पुलिस और परिवहन विभाग को जारी किए थे। इन नियमों के उल्लंघन पर प्रदेश में पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। दून में सबसे ज्यादा यानि 20 हजार 450, हरिद्वार में नौ हजार 642 तो ऊधमसिंहनगर में छह हजार 159 चालकों के डीएल सस्पेंड करने की कार्रवाई की गई। हालांकि चमोली और रुद्रप्रयाग में केदारनाथ धाम, बदरीनाथ धाम और दुर्घटना संभावित जोन होने के बावजूद यहां सिर्फ 65 व 97 चालकों के खिलाफ कार्रवाई हुई। केवल खुराना (निदेशक ट्रैफिक पुलिस) का कहना है कि ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। निदेशालय बनने के बाद ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले 40 हजार चालकों के डीएल सस्पेंड किए जा चुके हैं। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ट्रैफिक के प्रति युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जूनियर ट्रैफिक फोर्स की शुरुआत करेंगे। छह फरवरी को पुलिस लाइन में ट्रैफिक निदेशालय के कार्यक्रम में इसकी शुरूआत होगी। प्रदेश में नकली हेलमेट की बिक्री रोकने और आइएसआइ मार्का हेलमेट की बिक्री अनिवार्य करने के संबंध में फिलहाल अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। यह हालत तब है जब सितंबर में आयोजित विधानसभा सत्र के दौरान सरकार ने नकली हेलमेट की बिक्री रोकने के लिए परिवहन विभाग में विशेष जांच दल गठित करने और आइएसआइ मार्का हेलमेट की बिक्री अनिवार्य करने की दिशा में कदम उठाने की बात कही थी। प्रदेश में बीते वर्ष से दो पहिया वाहनों में चालक और सवारी दोनों के लिए हेलमेट अनिवार्य किया गया है। इसे कुछ जिलों में सख्ती से लागू भी किया गया है। दरअसल, प्रदेश में सड़क दुर्घटना के कारणों की जांच में यह बात सामने आई थी कि हेलमेट न पहनना भी दुर्घटनाओं में जान गंवाने का एक बड़ा कारण है। इसे देखते हुए प्रदेश में दुपहिया वाहनों में चालक व सवारी के लिए हेलमेट लागू किया गया। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया था कि हेलमेट उच्च क्वालिटी के होने के साथ ही आइएसआइ मार्का भी होने चाहिए। प्रदेश में परिवहन विभाग और पुलिस ने अनिवार्य हेलमेट व्यवस्था तो लागू कर दी लेकिन नकली हेलमेट पर कोई रोक नहीं लगाई गई। नतीजतन आज भी प्रदेश में नकली हेलमेट धड़ल्ले से बिक रहे हैं। इसका एक कारण अच्छे व आइएसआइ मानक वाले हेलमेट का महंगा होना है। एक रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि अधिकांश दुपहिया वाहन चालक व सवारी केवल चालान से बचने के लिए ही हेलमेट का प्रयोग करते हैं। सितंबर में हुए विधानसभा सत्र में नकली हेलमेट का मसला उठा था। इसके जवाब में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा था कि परिवहन विभाग में नकली हेलमेट की बिक्री की रोकथाम को विशेष दल बनाया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में केवल आइएसआइ मार्का हेलमेट बेचने के लिए मानक बनाने पर भी विचार किया जाएगा।

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