नई दिल्ली।केरल के सबरीमाला मंदिर में हर आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने वाले फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। पांच सदस्यीय पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।बेंच के समक्ष 56 पुनर्विचार याचिकाएं, चार रिट, केरल सरकार द्वारा 2 ट्रांसफर, 2 स्पेशल लीव पेटिशन और एक त्रावणकोर देवास्म बोर्ड की ओर से फैसला लागू कराने के लिए वक्त की अनुमति मांगने की याचिका शामिल हैं। इन सब याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस आरएफ नारिमन, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ को सुनवाई करनी है।गौरतलब है कि पिछले आदेश में कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं को खुली अदालत में लगाने का आदेश दिया था। हालांकि कोर्ट ने सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत देने वाले गत 28 सितंबर के फैसले पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। फैसले पर रोक न लगने से फिलहाल सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत है।केरल का सबरीमाला मंदिर अयप्पा भगवान का है। इनके अनुयायियों का कहना है कि यहां विराजमान अयप्पा भगवान ब्रम्हचारी हैं और इसलिए 10 से 50 वर्ष की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकतीं। माना जाता है कि इस आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी उनके मासिक धर्म के कारण है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 28 सितंबर को बहुमत से फैसला सुनाते हुए मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव करार दिया था। जिसका अयप्पा अनुयायी भारी विरोध कर रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केरल राज्य में खूब हंगामा हो रहा है। भाजपा और अन्य विपक्षी पार्टियां मिलकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं। जबकि केरल की पिनरई विजयन सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करवाने की बात कह रही है। इसी बीच हाल ही में दो रजस्वला महिलाओं ने अलबुसह मंदिर में प्रवेश कर पूजा करने का दावा किया। इनका मंदिर में प्रवेश करते हुए वीडियो भी वायरल हुआ। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई है।