निजी स्कूलों को व्यावसायिक श्रेणी का मानकर निगम ने टैक्स का सर्वे किया शुरू

देहरादून। शहर के तमाम सरकारी व अर्ध-सरकारी प्रतिष्ठानों पर प्रापर्टी टैक्स के नोटिस जारी कर चुका नगर निगम अब निजी स्कूलों पर भी टैक्स लगाने की तैयारी कर रहा है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार शहर में छोटे-बड़े तकरीबन 500 निजी स्कूल हैं। इनमें निजी स्कूलों समेत केंद्रीय, मिशनरी एवं ट्रस्ट के स्कूल भी शामिल हैं।

पूर्व में निगम ने कुछ बड़े स्कूलों पर टैक्स लगाया था पर मामले में स्कूल अदालत पहुंच गए। आधा दर्जन बड़े स्कूलों का वाद अभी लंबित है। नगर निगम ने लंबित वाद से जुड़े निजी स्कूलों को छोड़कर शेष सभी स्कूलों पर टैक्स का सर्वे शुरू कर दिया है।

नगर निगम क्षेत्र में भवन कर के दायरे में आमजन, व्यापारियों के बाद विधानसभा व सचिवालय को शामिल करने के बाद नगर निगम ने निजी स्कूलों पर नजरें दौड़ाई हैं। महापौर सुनील उनियाल गामा ने निगम के कर अनुभाग से निजी स्कूलों की सूची को बनाकर उनके समक्ष रखने का निर्देश दिया है।

निगम क्षेत्र में भवन कर की दो श्रेणियां हैं। एक आवासीय एवं दूसरी व्यवसायिक। महापौर गामा के अनुसार व्यवसायिक कर में भी अलग-अलग श्रेणियां हैं। इनमें एक श्रेणी गैर-आवासीय की है, जिसमें सरकारी कार्यालयों को शामिल किया गया है। साथ ही जो सरकारी भवन आवास में इस्तेमाल हो रहे हैं, उनसे आवासीय श्रेणी का भवन कर वसूला जाएगा।

भवन कर के दायरे में सरकारी स्कूल व अस्पतालों को भी पहले ही शामिल किया जा चुका है। अब निगम ने निजी स्कूलों को व्यावसायिक श्रेणी का मानकर कर वसूली की तैयारी की है। नगर निगम ने वर्ष 2016-17 से ही व्यवसायिक भवन कर की वसूली शुरू की है, लिहाजा इन सभी स्कूलों से पिछले दो वर्ष व इस वर्ष का भवन कर एकसाथ लिया जाएगा।

बता दें कि, गत दिनों निगम की ओर से भवन कर वसूली को विधानसभा प्रशासन और सचिवालय को नोटिस भेजा गया था। इसके साथ-साथ राज्य संपत्ति विभाग एवं पुलिस मुख्यालय को भी नोटिस भेज भवन कर चुकाने को कहा गया है। शहरी क्षेत्र में बने राज्य संपत्ति विभाग के कार्यालयों के साथ सचिवालय कालोनी, ट्रांजिट हॉस्टल, गेस्ट हाउसों और पुलिस के सभी अफसरों के कार्यालयों व थाने-चौकियों को भी इस दायरे में शामिल किया गया है।

नगर निगम को इनसे करीब चार करोड़ रुपये सालाना भवन कर मिलने की उम्मीद है। निगम क्षेत्र में करीब 200 राजकीय व केंद्रीय प्रतिष्ठान हैं। इन सभी को भी व्यवसायिक भवन के दायरे में लिया है। महापौर ने जानकारी दी कि सेंट जोजेफ्स स्कूल का विवाद कोर्ट से निगम में ट्रांसफर हो गया है, जबकि कांवेंट ऑफ जीजस एंड मैरी, वेल्हम ब्वॉयज व दून स्कूल का विवाद कोर्ट में लंबित है।

लक्ष्य पूरा करना होगा चुनौती

निगम के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 का 25 करोड़ रुपये का भवन कर वसूली का लक्ष्य पूरा करना चुनौती दिख रहा है। भवन कर अधीक्षक धर्मेश पैन्यूली ने वर्तमान की रिपोर्ट महापौर को सौंपी है। महापौर ने इस पर अधिकारियों से चर्चा की और लक्ष्य के सापेक्ष जाने के लिए शीघ्र वसूली कैंप को लगाने के निर्देश दिए।

बड़े बकायेदारों की होगी कुर्की

निगम द्वारा तय भवन कर व व्यवसायिक कर नहीं चुकाने पर अब कुर्की की कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है। वित्तीय वर्ष के खत्म होने के अब डेढ़ महीने शेष बचे है व गत दस माह में निगम ने महज 48 फीसद कर की वसूली की है। ऐसे में बड़े बकायदारों की सूची बनाकर डिमांड नोटिस भेजने का फैसला लिया गया है। नोटिस के बावजूद अगर कर नहीं चुकाया गया तो ऐसे लोगों के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई होगी। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने कर निरीक्षक को बकायदारों की सूची बना नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं।

साढ़े 19 लाख रुपये की वसूली 

नगर निगम ने भवन कर में साढ़े 19 लाख रुपये की वसूली की। इसमें डेढ़ लाख रुपये की वसूली राजेश्वरनगर में लगाए कैंप में हुई, जबकि बाकी निगम के कार्यालय में जमा हुआ। कर चुकाने वालों को 20 प्रतिशत की छूट दी गई। निगम के मुताबिक आज राजेंद्रनगर वार्ड स्थित स्ट्रीट नंबर-एक में सत्संग भवन में कैंप लगाया गया है।

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