चकराता व नागटिब्बा में बर्फबारी

देहरादून। उत्तराखंड में एक बार मौसम बदला और चार धाम समेत उच्च हिमालय में हिमपात के साथ ही निचले स्थानों पर रुक-रुक कर बारिश का दौर बना हुआ है। मसूरी में दिन में ओलावृष्टि के बाद रात करीब साढ़े ग्यारह बजे से जोरदार हिमपात हुआ, वहीं निकटवर्ती धनोल्टी, सुरकंडा, नागटिब्बा और चकराता बर्फ से सफेद हो गई हैं। बर्फबारी और बारिश से समूचा प्रदेश शीतलहर की चपेट में है। मौसम विभाग के रेड अलर्ट को देखते हुए देहरादून, टिहरी में कक्षा एक से बाहरवीं तक के स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। दूसरी ओर कुमाऊं के बागेश्वर और पिथौरागढ़ में प्रशासन ने शुक्रवार को भी कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है। मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार को भी बारिश और बर्फबारी की संभावना बरकरार है। हालांकि शाम तक मौसम साफ हो सकता है।गुरुवार को सुबह हल्की धूप निकली, लेकिन दोपहर तक आसमान में घने बादल छा गए। दोपहर बाद बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ औली, हेमकुंड और गोरसो बुग्याल व उत्तरकाशी में हर्षिल में भी हिमपात के समाचार हैं। केदारनाथ में 16 दिन बाद भी बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो पाई है। उत्तरकाशी जिले में अब भी करीब तीन दर्जन गांव जिला मुख्यालय से कटे हुए हैं, जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे समेत चार सड़कों पर यातायात बहाल नहीं हो पाया है। देहरादून, हरिद्वार, रुड़की और ऊधमसिंह नगर में बारिश का दौर बना हुआ है, जबकि मसूरी और विकासनगर में ओले पड़ने से सर्दी बढ़ गई है।कुमाऊं में भी मौसम का मिजाज गढ़वाल मंडल की तरह ही रहा। पिथौरागढ जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में हिमपात का क्रम जारी है। तराई में कई जगह बारिश के साथ ही ओलावृष्टि भी हुई है।औली में पिछले पखवाड़े हुई भारी बर्फबारी से उत्पन्न समस्याएं अब भी खत्म नहीं हुई हैं। हालांकि प्रशासन ने जोशीमठ से औली तक पांच किलोमीटर लंबे मार्ग पर बर्फ हटाकर यातायात बहाल कर दिया है, लेकिन औली से दो किलोमीटर दूर सनील तक सड़क अब भी बर्फ से पटी हुई है। सनील में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल और सेना के कैंप है। यहां जवानों को दो किलोमीटर पैदल ही कंधे पर सामान ढोना पड़ रहा है।भले ही बारिश और बर्फबारी से ठंड में इजाफा हुआ हो, लेकिन खेती और बागवानी के लिए यह संजीवनी है। देहरादून के निकट ढकरानी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एसएस सिंह ने बताया कि पहाड़ों में खेती ज्यादातर बारिश पर निर्भर है। इन दिनों गेहूं की बुवाई हो चकी है, ऐसे में यह बारिश खेती के लिए संजीवनी ही है। उन्होंने बताया कि बर्फबारी से सेब के लिए वातावरण अनुकूल हो गया है, वहीं इससे खुबानी, पुलम जैसे फलों के साथ ही सब्जियों की पैदावार में भी लाभ होगा।

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