केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेशी योगदान पंजीकरण अधिनियम (एफसीआरए) 2010, के तहत ग्रीनपीस इंडिया के रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण कर दिया। विदेशी धन मिलने के कारण एक साल पहले ही इसके लाइसेंस को रद करने का आदेश दिया गया था।
ग्रीनपीस इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रवि चेल्लम ने अगले 5 सालों की अवधि के लिए अपने लाइसेंस के नवीनीकरण की पुष्टि की। उन्होंने बताया, ‘हमने अपने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए इस साल मार्च में आवेदन किया था। नवीनीकरण के बाद 1 नवंबर, 2016 से यह नया लाइसेंस लागू है।’
सूत्रों के अनुसार, ग्रीनपीस इंडिया के एफसीआरए रजिस्ट्रेशन, जिसे 2 सितंबर, 2014 को गृह मंत्रालय की ओर से, देश के ‘प्रतिकूल सार्वजनिक हित और आर्थिक हित को प्रभावित करने’ के तहत विदेशी फंड के लिए रोक दिया गया था, का नवीनीकरण कर दिया गया है। यह काम एफसीआरए विभाग के कुछ जूनियर अधिकारियों ने किया।
सूत्रों ने बताया कि ग्रीनपीस द्वारा ऑनलाइन आवेदन सबमिट किया गया था और यह एफसीआरए स्क्रूटनी के तहत आने वाले दो अन्य संस्थानों के साथ ऑटोमैटिक तरीके से रिन्यू हो गया। इसमें एक जाकिर नाइक का विवादित एनजीओ ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF)’ है, जिसे हाल में ही अवैध घोषित किया गया था और दूसरा तीस्ता सीतलवाड़ का एनजीओ, सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) है।
IRF और CJP दोनों ही अग्रिम अनुमति की सूची में थे जब अगस्त में गृह मंत्रालय के अधिकारी ने एफसीआरए लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन की पुष्टि की थी। उलझन यह है कि वहां के सूत्रों के अनुसार एफसीआरए सॉफ्टवेयर में ऑटोमैटिक व्यवस्था नहीं है। ग्रीनपीस के लाइसेंस का नवीनीकरण होने का मतलब है कि अब यह बिना किसी रोक के फिर से विदेशी फंड ले सकता है।