जम्मू-कश्मीर में लद्दाख के तीसरेे संभाग के फैसले के साथ तेज हुई धु्रवीकरण की सियासत

जम्मू।लद्दाख को अलग डिवीजन का दर्जा मिलने से भले ही लेह व कारगिल क्षेत्र में विकास का सूखा खत्म करने की नई पहल हुई है, पर सियासी दलों ने अपना नफा-नुकसान टटोलना शुरू कर दिया है। राज्यपाल प्रशासन इसे क्षेत्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक बता रहा है पर कश्मीर के सियासी दलों ने पीर पंजाल (राजौरी-पुंछ) व चिनाब वेली (रामबन-डोडा-किश्तवाड़) को अलग डिवीजन का दर्जा देने की मांग उठा दी है।राज्य प्रशासन ने शुक्रवार को एक बड़ा, एतिहासिक और प्रशासकीय फैसला लेते हुए लद्दाख को कश्मीर संभाग से अलग कर एक नए संभाग का दर्जा प्रदान कर दिया है। अब राज्य में दो नहीं बल्कि तीन संभाग होंगे। जम्मू, कश्मीरी व लद्दाख संभाग। तीनों की मंडल स्तरीय प्रशासकीय इकाइयां होंगी। लद्दाख संभाग (डिवीजन) में लेह व कारगिल जिला होंगे। एक मंडलायुक्त और आइजीपी जल्द ही लद्दाख में नियुक्त किया जाएगा। राज्य प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि लद्दाख के लिए अब प्रशासकीय व राजस्व डिवीजन भी अलग होंगे, जिनका मुख्यालय लेह में ही होगा।कश्मीर के सियासी दलों ने पीर पंजाल (राजौरी-पुंछ) व चिनाब वेली (रामबन-डोडा-किश्तवाड़) को अलग डिवीजन का दर्जा देने की मांग उठा दी है। स्पष्ट है कि धु्रवीकरण की सियासत और तेज होगी। कश्मीरियत व सांप्रदायिक सद्भाव के नाम मुस्लिम कार्ड खुलकर खेला जाएगा और इस बार सियासत का केंद्र कश्मीर नहीं जम्मू संभाग रहने वाला है।लद्दाख को डिवीजन बनाने के फैसले का मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा को ही सियासी फायदा होता नजर आता है। इस फैसले के जरिए वह नाराज चल रहे पूर्व सांसद थुपस्तान छवांग को फिर से मनाकर अपने लिए पुन: लद्दाख की एकमात्र संसदीय सीट जीतने का प्रयास करेगी।भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में क्षेत्र को अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने का प्रयास किया था। अब मतदाताओं को यकीन दिलाएगी कि केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने की मांग भी देर-सवेर पूरी कर दी जाएगी। इस फैसले का फायदा भाजपा को लद्दाख क्षेत्र की चार विधानसभा सीटों पर भी हो सकता है। हालांकि अभी तक भाजपा कभी लद्दाख में विधानसभा सीट नहीं जीत पाई है।कश्मीर की सियासत पर फिलहाल बड़ा फर्क पड़ता नहीं दिखता। हां, पीडीपी को घेरने के लिए नेशनल कांफ्रेंस को नया मुद्दा मिल सकता है। वह यह आवाज उठाएगी की पीडीपी की वजह से भाजपा को सत्ता तक पहुंचने का मौका मिला।फैसले का ज्यादा राजनीतिक और सामाजिक असर जम्मू संभाग की सियासत पर होगा और यह सियासत पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी व नेशनल कांफ्रेंस ही खेंलेंगी। इससे दोनों को कितना फायदा होगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने लद्दाख पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में इसका स्पष्ट संकेत दे दिया है। भाजपा के सहयोगी माने जाने वाले सज्जाद गनी लोन भी इस पर पीछे नहीं हैं।लद्दाख को डिवीजन का दर्जा मिलने को सियासी दल यह संकेत देंगे कि कश्मीर की ताकत को भाजपा कमजोर करना चाहती है। वहीं जम्मू संभाग में राजौरी, पुंछ, रामबन, डोडा और किश्तवाड़ की उपेक्षा का मसला उठाया जाएगा। यह पांचों जिले मुस्लिम बहुल हैं और कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां 80 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। ऐसे में लद्दाख के फैसले के बहाने भाजपा को मुस्लिम विरोधी साबित करने की मुहिम चल सकती है। इस तरह इन जिलों में नेशनल कांफ्रेंस एवं पीडीपी धु्रवीकरण का दांव चलना चाहते हैं।उमर अब्दुल्ला ने पहला दांव चल भी दिया है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि विधानसभा चुनाव में अगर लोगों ने नेशनल कांफ्रेंस में विश्वास जताया तो चिनाब घाटी और पीरपंजाल क्षेत्र को डिवीजन का दर्जा दिया जाएगा। हमने अपने क्षेत्रीय स्वायतता के वादे में पहले ही इसका उल्लेख किया है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि हम राज्यपाल की तरह चुङ्क्षनदा आधार पर काम नहीं करेंगे बल्कि समग्र तौर पर देखते हुए बड़े मामलों को हल करेंगे।पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने लद्दाख को डिवीजन के दर्जे का स्वागत तो किया है, लेकिन यह जरुर कहा कि मैं इसके पीछे जो मकसद छिपा मैं उसे समझने में असमर्थ हूं। राज्यपाल ने अगर यह लोगों की बेहतरी के लिए फैसला किया है तो चिनाब वेली और पीरपंजाल को भी यह दर्जा मिलना चाहिए था। मुझे महसूस होता है कि राज्यपाल भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा है कि क्षेत्र से 70 साल से जारी भेदभाव का दौर खत्म हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग पर कायम है। यह फैसला उसी राह पर एक कदम है। पीडीपी प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा है कि लद्दाख को डिवीजन का हम स्वागत करते हैं, लेकिन जिस तरह से पीर पंजाल और चिनाब क्षेत्र की उपेक्षा हुई है, वह अनुचित है। हम सत्ता में आने पर उनके साथ इंसाफ करेंगे।पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने कहा कि यह लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाने और रियासत को तीन हिस्से करने की नई दिल्ली की साजिश का एक हिस्सा है। अगर लद्दाख के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए डिवीजन बनाई गई है तो फिर रामबन-डोडा और राजौरी-पुंछ को भी डिवीजन का दर्जा भी देना चाहिए। पीपुल्स कांफ्रेंस सज्जाद गनी लोन ने कहा है कि चिनाब वेली और पीर पंजाल क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए वहां भी डिवीजन बनाए जाने चाहिए। लद्दाख को डिवीजन बनाने का स्वागत करता हूं।

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