सेहत और कॅरियर का दुश्मन है नशा

देहरादून।युवा मन जोश और उमंग से भरा होता है। उम्र के इसी पड़ाव में भविष्य को लेकर लक्ष्य निर्धारित करने होते हैं, मगर विडंबना है कि जिले के तमाम युवाओं की रगों में जोश कम नशा अधिक दौड़ रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण यह कि शिक्षानगरी होने के नाते यहां पढ़ाई को आने वाले गैर प्रांतों के युवा नशे के चंगुल में फंसकर अपना कॅरियर तो दांव पर लगा ही रहे हैं, साथ ही माता-पिता के सपनों को भी चकनाचूर कर रहे हैं।दोस्तों के साथ शौक या मौजमस्ती में शुरू होने वाले नशे के दुष्परिणाम पर आंखें तब खुलती हैं, जब भविष्य, कॅरियर और नौकरी सब कुछ रेत की तरह हाथों से फिसल चुका होता है।तस्वीर यह है कि देहरादून की चकाचौंध, उन्मुक्त जीवन और किशोरावस्था में अलग दिखने की चाहत में फंसी युवा पीढ़ी काफी आसानी से भ्रमित हो जाती है और ये नवयुवक नशा तस्करों के हाथ की कठपुतली बनते जा रहे हैं। धूमपान से लेकर शराब का सेवन करने तक में 16 साल से लेकर 25 वर्ष तक की आयु के ही युवा सर्वाधिक हैं। नशे के दलदल में फंसने वालों में अच्छे-अच्छे परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं, जो पढ़ने लिखने की उम्र में नशे के आदी होते जा रहे हैं। नशे में धूमपान से लेकर शराब का सेवन तो किया ही जा रहा, इसके अलावा जो इन दिनों नशा नसों में उतारा जा रहा है, उनमें स्मैक, चरस का नाम सबसे ऊपर है।आमतौर पर नशा तस्करों का नेटवर्क शहर की झुग्गी-झोपडिय़ों से लेकर पॉश कॉलोनियों और हॉस्टल तक में फैला हुआ है। स्कूल कैंपस तक में तस्करों ने जाल फैला रखा है। युवा वर्ग किसी भी तरह नशा हथियाने के बाद सुनसान स्थानों पर चले जाते हैं। इसमें स्कूल कैंपस से लेकर नामचीन पार्क तक शामिल हैं। जहां अक्सर युवकों को अफीम, चरस, स्मैक के कश लेते देखा जा सकता है।जिले में आधा दर्जन के करीब नशा मुक्ति केंद्रों में करीब दो हजार लोग उपचार करा रहे हैं। इसमें साठ फीसद के करीब युवा हैं। इनमें से कई की नौकरी छूटी तो कई की पढ़ाई। अधिकांश की सेहत इस तरह बिगड़ चुकी है कि अब अकेले सीधे खड़े भी नहीं हो पाते। नशा मुक्ति केंद्रों से निकलने के बाद अधिकांश तो दोबारा इस दलदल में नहीं फंसते, लेकिन कुछ दोबारा से नशा शुरू कर देते हैं, जो उन्हें फिर मौत के आगोश तक पहुंचा देती है।क्लेमेनटाउन पुलिस ने बीते साल नवंबर में दो युवकों को नशा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया। दोनों उत्तर प्रदेश के संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे और यहां के एक नामी संस्थान के छात्र थे। जेल होने के बाद दोनों की पढ़ाई बाधित हो गई। पुलिस कार्रवाई की जानकारी होने पर दून आए दोनों के परिजन बेहद आहत थे। वह सोच नहीं पा रहे थे आखिर बच्चों को इस दलदल से बाहर कैसे निकालें।बीते दस दिसंबर को पटेलनगर पुलिस ने चार युवकों को बीएसएनएल की लाखों रुपये मूल्य की केबल के साथ गिरफ्तार किया। पकड़े जाने से कुछ दिन पहले ही चारों ने सहारनपुर रोड पर लगे बीएसएनएल की केबल चोरी की थी। पुलिस का कहना था कि यह सभी नशे के आदी हैं और इसीलिए चोरी करते थे।बीती एक जनवरी को पुलिस ने चावला चौक के पास स्थित एटीएम में एक युवक को तोडफ़ोड़ करते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसकी पहचान प्रदीप कुमार निवासी बानसूर, अलवर, राजस्थान के रूप में हुई। प्रदीप नशे का आदी था और जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-मोटी चोरी करता, लेकिन एक जनवरी को एटीएम तोड़ कर बड़ा हाथ मारने की कोशिश की और जेल पहुंच गया।निवेदिता कुकरेती (एसएसपी, देहरादून) का कहना है कि नशीले पदार्थ का सेवन करने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है। नशा कहां से आ रहा है किन-किन जगहों पर बेचा जा रहा है। इसकी जानकारी लेकर नशे के कारोबार से जुड़े लोगों पर कार्रवाई की जा रही है।केवल खुराना (आइजी पुलिस मुख्यालय) का कहना है कि युवा वर्ग नशा तस्करों का सॉफ्ट टारगेट होता है। यह उम्र ऐसी होती है, जिसमें संगत ही कॅरियर और भविष्य तय करता है। साथ ही युवाओं को लगता है कि मौजमस्ती में शुरू किया गया नशा वह कभी छोड़ देंगे, लेकिन सच्चाई ठीक इसके उलट है। उन्हें तब अपनी गलती का अहसास होता है, जब सबकुछ बिखर चुका होता है। युवा वर्ग नशे को लेकर खुद भी जागरूक हों और उनके अभिभावकों को देखना होगा कि उनका बच्चा कहीं गलत संगत में नहीं जा रहा है। उसके आचार-व्यवहार में आए परिवर्तन से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे युवाओं को नशे की अंधेरी गलियों में भटकने से काफी हद तक रोका जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *