फ्लेवर्ड धुएं की आड़ में नशा परोस रहे हुक्का बार

देहरादून। शहर में अवैध तरीके से धड़ल्ले से चल रहे हुक्का बार नशे के साथ-साथ अय्याशी का अड्डा बन चुके हैं। फ्लेवर्ड हुक्का तो केवल कहने के लिए होता है, इसकी आड़ में यहां चरस, स्मैक, हेरोइन, अफीम, गांजे और ड्रग पेपर तक उपलब्ध कराए जाते हैं। हालांकि, यह अलग बात है कि सरकार ने सात वर्ष पहले ही राज्य में फ्लेवर्ड हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाकर जिलाधिकारियों से कार्रवाई को कहा गया था, लेकिन कार्रवाई हुई नहीं। चिंता वाली बात ये है कि हुक्का बार में ग्राहकों की बड़ी संख्या किशोरों की है जो 12वीं कक्षा से नीचे के हैं। अहम ये भी है कि इन किशोरों में लड़कियों की भी तादाद अच्छी खासी है। सिर्फ हर तरह का नशा ही नहीं बल्कि यहां से देह व्यापार के रैकेट तक संचालित हो रहे। वर्ष 2012 में कौलागढ़ के एक हुक्का बार में पुलिस के छापे में हाईप्रोफाइल कॉलगर्ल पकड़ी गई थी। जांच में खुलासा हुआ था वह बार में संचालक के इशारे पर रोज बैठती थी और अमीर किशोरों को जाल में फंसाती थी। ये कॉलगर्ल दूसरी लड़कियों को भी इस धंधे में लाने का काम करती थी।सरकारी महकमों (पुलिस, जिला प्रशासन, नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग) की ‘दरियादिली’ पर चल रहे इन हुक्का बारों पर यदा-कदा कार्रवाई तो हुई, मगर सरकारी ‘सरपरस्ती’ में ये फिर चलने लगे। प्रदेशभर में फ्लेवर्ड हुक्का बार प्रतिबंधित हैं। जनवरी-12 में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य द्वारा इसका आदेश जारी कर प्रदेश के सभी 13 जिलाधिकारियों को हुक्का बार को बंद कराने का पत्र भेजा था। बावजूद इसके इन पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। अकेले दून में ही दो दर्जन हुक्का बार बेधड़क संचालित हो रहे हैं। वर्ष 2012 जनवरी में पुलिस ने राजपुर में तीन हुक्का बार पर कार्रवाई कर इन्हें सील कर दिया था। नगर निगम ने भी इसकी जांच की। जांच में मालूम चला कि एक हुक्का बार में रेस्टोरेंट का लाइसेंस भी फर्जी था। हालांकि, सांठगांठ के इस खेल में जांच रिपोर्ट फाइलों में दब गई, हुक्का बार फिर संचालित हो गए।पुलिस के आंकड़े बता रहे कि हुक्का बार में ज्यादातर ग्राहक नाबालिग बच्चे हैं। वर्ष 2013 में पुलिस ने शहरभर में हुक्का बारों में छापेमारी की तो वहां पकड़े ग्राहक 12वीं कक्षा से नीचे वाले थे। अमीर घरानों के ये बच्चे या तो स्कूल से सीधे बार आ पहुंचे थे या फिर ट्यूशन या कोचिंग जाने के बहाने बार में नशा कर रहे थे। पुलिस ने वर्ष 2013 में कुल 10 हुक्का बारों पर कार्रवाई की, जिसमें 113 लोग पकड़े गए थे। इनमें 91 स्कूली बच्चे थे। भविष्य की वजह से उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा गया। पिछले साल भी पुलिस ने अभियान चला कार्रवाई की थी लेकिन ठोस समाधान नहीं हो पाया।हमारी पुलिस वास्तव में ‘मित्र पुलिस’ है। हुक्का बार संचालकों ने पुलिस से ये बताया कि राज्य सरकार द्वारा हुक्का बार पर लगाए प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर है, लेकिन आज तक पुलिस ने यह स्टे आर्डर देखने की जहमत नहीं उठाई। सबकुछ ‘यारी-दोस्ती’ में चल रहा।शहर के राजपुर व जाखन क्षेत्र में सबसे ज्यादा हुक्का बार चल रहे हैं। रेसकोर्स, जीएमएस रोड, वसंत विहार, कौलागढ़, पटेलनगर, सुभाष नगर, टर्नर रोड, प्रेमनगर, कनक चौक, राजा रोड, प्रिंस चौक आदि पर भी कैफे की आड़ में हुक्का बार संचालित हो रहे हैं और सरकारी मशीनरी तमाशबीन बनी हुई है। सूत्रों की मानें तो हुक्का बार पर पुलिस, प्रशासन या अन्य सरकारी विभागों ने जब भी कार्रवाई की, वह सिर्फ अवैध वसूली के लिए की गई। कार्रवाई के कुछ दिन में ही मामला ठंडा बस्ते में डाल दिया गया व हुक्का बारों को अपने ही ‘संरक्षण’ में शुरू करा दिया गया।शहर में हुक्का बार की तरह पॉश इलाकों में खुले बिलियर्ड रूम भी नशा, जुआ और सट्टे के अड्डे बने हुए हैं। हालांकि, यहां पुलिस ने कार्रवाई यदा-कदा ही की। तीन साल पूर्व पुलिस ने वसंत विहार इलाके के एक बिलियर्ड रूम में छापा मारा तो हैरानी वाली बात ये रही कि वहां धड़ल्ले से नशा और सट्टा जारी था लेकिन बिलियर्ड कहीं नहीं था। पुलिस ने 31 आरोपी पकड़े थे। इनमें 29 स्कूल-कालेज के छात्र थे।एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि पुलिस हुक्का बार पर सिर्फ पुलिस एक्ट के अंतर्गत चालान कर कार्रवाई कर सकती है। इस पर प्रतिबंध की जिम्मेदारी प्रशासन एवं दूसरे सरकारी विभागों की भी है। जहां भी हुक्का बार संचालित होने की शिकायत मिलती है, वहां कार्रवाई होती है।

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