देहरादून। क्लेमेनटाउन क्षेत्र में सरकारी खाद्यान्न के 30 बोरे पकड़े जाने के मामले की विभागीय जांच पूरी हो गई है। लेकिन, यह महज एक खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं। हर बार की तरह इस बार भी दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। पकड़े गए खाद्यान्न में घिरे सरकारी गोदाम प्रबंधन की भूमिका पर पर्दा डालते हुए डीएसओ ने अब गोदाम की भूमिका की जांच पुलिस के पाले में डाल दी है। वहीं, राशन विक्रेताओं को क्लीन चिट देकर डीएसओ कार्यालय को पाक-साफ भी बता दिया है। डीएसओ विपिन कुमार की ओर से आरएफसी चंद्र सिंह धर्मशक्तू को मामले की जांच रिपोर्ट शनिवार को सौंपी दी गई। रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में विभाग ने राशन विक्रेताओं के खाद्यान्न कोटे का भौतिक सत्यापन कराया है। इसमें सभी दुकानों में खाद्यान्न में कोई कमी नहीं पाई गई। जबकि, गोदाम की भूमिका को जांच के दायरे में शामिल नहीं किया गया। हालांकि, यह भी अंदेशा जताया कि ये बोरे कालाबाजारी के लिए ही ले जाए रहे थे। डीएसओ ने गोदाम की भूमिका के लिए पुलिस को जांच के लिए पत्र लिखा है। साथ ही अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज भी कराया गया है। बता दें कि, चार फरवरी को क्लेमेनटाउन क्षेत्र में पुलिस व डीएसओ ने एक संदिग्ध पिक-अप वाहन से सरकारी चावल के 30 बोरे पकड़े थे। वाहन चालक के पास सरकारी खाद्यान्न से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं थे। इससे सरकारी खाद्यान्न की कालाबाजारी का भंडाफोड़ हुआ था। घटना ट्रांसपोर्ट नगर स्थित गोदाम से महज दो से तीन किलोमीटर दूरी पर हुई थी।जांच में पाया गया कि जो बोरे पकड़े गए थे, उनमें हाथों की सिलाई की गई थी। इससे यह भी अंदेशा जताया गया है कि इसमें सरकारी बोरों से खाद्यान्न कम करके भरा गया होगा। इससे शक की सुई एक बार फिर ट्रांसपोर्ट नगर स्थित गोदाम की ओर घूमती नजर आ रही है। हालांकि, आधिकारिक पुष्टि तो पुलिस की जांच के बाद ही हो पाएगी।विपिन कुमार (जिला पूर्ति अधिकारी) का कहना है कि सरकारी खाद्यान्न पकड़े जाने के मामले की जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है। इसमें पाया है कि ये बोरे राशन की दुकानों के नहीं थे। ये बोरे कहां से आए थे, यह पता लगाने को पुलिस को जांच सौंपी गई है।