रुड़की। दो बार विधायक रह चुके चौधरी यशवीर सिंह ने अपने बेटे और कई समर्थकों के साथ कांग्रेस को अलविदा कह दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में संगठन नाम की कोई चीज नहीं है। विपक्ष की भूमिका निभाने में कांग्रेस पूरी तरह से नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि होली के बाद वह एक बड़ी बैठक कर जल्द ही तय करेंगे कि भविष्य में वह किस संगठन या व्यक्ति के साथ मिलकर राजनीति करेंगे। बिना राजनीति के वह नहीं रह सकते हैं।
चौधरी यशवीर सिंह ने दिल्ली-देहरादून राजमार्ग स्थित कैंप कार्यालय पर समर्थकों की मौजूदगी में प्रेस कांफ्रेंस की। चौधरी यशवीर सिंह ने कहा कि वह लंबे समय से कांग्रेस में थे। एक सच्चे सिपाही की तरह काम किया, लेकिन कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी बेहद हावी हो चुकी है। नेताओं का एक-दूसरे के खिलाफ जबरदस्त विरोध है।
उन्होंने कहा कि तीन साल पहले उन्होंने एक बड़ी रैली की थी। इसमें तमाम कांग्रेस के नेताओं को बुलाया, लेकिन तत्कालीन सीएम को छोड़कर दूसरे गुट से कोई नहीं आया।
आरोप लगाया कि पूर्व सीएम हरीश रावत ने गंगा गन्ना यात्रा निकालकर नौटंकी की। क्षेत्र का गन्ना किसान परेशान है, लेकिन कांग्रेस ने एक भी आंदोलन नहीं किया। किसी भी मुद्दे पर कांग्रेस लोगों के बीच में नहीं आई।
झबरेड़ा नगर पंचायत के चुनाव में कुछ लोगों ने भीतरघात कर कांग्रेस प्रत्याशी को हराया, लेकिन पार्टी ने उनको दोबारा से संगठन में शामिल कर लिया।
इसलिए वह अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस को छोड़ रहे हैं। वहीं झबरेड़ा नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन डॉ. गौरव ने भी कांग्रेस छोड़ दी।
बता दें कि 2002 के विधानसभा चुनाव में चौधरी यशवीर सिंह इकबालपुर सीट से बसपा के टिकट पर जीते। इसके बाद 2007 में उन्होंने फिर जीत हासिल की। 2012 के चुनाव में उनके बेटे डॉ. गौरव चौधरी मंगलौर विधानसभा सीट से रालोद के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए। 2017 के चुनाव में चौधरी खानपुर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े। वहीं उनके कांग्रेस छोड़ने को लेकर जिले में राजनीति गरमाती नजर आ रही है।
चौधरी यशवीर का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका
दो बार के विधायक रहे चौधरी यशवीर सिंह के कांग्रेस को छोडऩे से पार्टी को जोर का झटका माना जा रहा है। कांग्रेस में चौधरी राजेंद्र सिंह और चौधरी यशवीर सिंह कद्दावर नेता थे। चौधरी राजेन्द्र सिंह तो पिछले साल नवंबर में अपने कुनबे के साथ बसपा में शामिल हो गए थे। उनके साथ कई जिला पंचायत सदस्य और प्रधानों ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी। यहां तक कि कांग्रेस की जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी भी बसपा में शामिल हो गई।