देहरादून। प्रदेश के सैनिकों, पूर्व सैनिकों व शहीदों के बच्चे राजधानी देहरादून में रहकर पढ़ाई कर सकते हैं। पांचवी से बारहवीं तक की कक्षा में पढ़ने वाले लड़के-लड़कियों को यहां हॉस्टल की सुविधा मिलेगी। डांडा लखौंड स्थित वॉर मेमोरियल ब्वायज एंड गर्लस हॉस्टल के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। जिसकी अंतिम तिथि 30 अप्रैल है। हॉस्टल में 125 छात्र व 125 छात्राओं के रहने की व्यवस्था है।बता दें, गढ़वाल रेजीमेंटल सेंटर लैंसडौन में वर्ष 1980 से ही सेवारत, सेवानिवृत्त जवानों व शहीद सैनिकों के बच्चों के लिए हॉस्टल संचालित किया जा रहा था। समय के साथ-साथ शिक्षा क्षेत्र का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। लैंसडौन में उस मुताबिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।लिहाजा एजुकेशनल हब की पहचान रखने वाले देहरादून में सैनिकों के बच्चों के लिए नया हॉस्टल बनाया गया है। ताकि वह उचित वातावरण में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें। कॅरियर के लिहाज से भी यहां उनका अच्छा मार्गदर्शन हो सकेगा।हॉस्टल में ट्यूशन, व्यक्तित्व विकास, व्यावसायिक परीक्षाओं के लिए कोचिंग, कॅरियर परामर्श, कंप्यूटर कक्ष, पुस्तकालय, स्कूल के लिए बस की सुविधा, खेलकूद, मनोरंजन व चिकित्सा आदि की सुविधा है। गत वर्ष सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने हॉस्टल का उद्घाटन किया था।उत्तराखंड मूल के युद्ध में घायल, सेवारत, सेवानिवृत्ति सैनिक, वीर नारी एवं असम राइफल्स के सैनिकों के पांचवी से बारहवीं तक की कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे।एक लाख रुपये (स्कूल फीस, रहना-खाना, स्कूल यूनिफार्म व किताबें, ट्यूशन ओर यातायात शुल्क आदि शामिल)