देहरादून। उत्तराखंड में आमदनी कम और खर्च ज्यादा से जूझ रही राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2019-20 के पहले महीने में ही कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ा है। सरकार ने बाजार से 500 करोड़ रुपये कर्ज उठा लिया है।
वहीं कर्मचारियों के वेतन से जुड़ी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन किए जाने से पेश आ रही दिक्कतें दूर करने के लिए आहरण-वितरण अधिकारियों (डीडीओ) को तेजी से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य सरकार पर नए वित्तीय साल के पहले महीने ही वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। खराब माली हालत के चलते हर महीने सरकार को अपने कार्मिकों को वेतन भुगतान में दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। इस वजह से सरकार ने पहले पखवाड़े के भीतर ही 500 करोड़ का कर्ज बाजार से लिया है।
सातवें वेतनमान के भत्ते देने के बाद से सरकारी खजाने पर प्रतिमाह करीब 250 करोड़ का बोझ बढ़ गया है। वेतन, पेंशन, मानदेय, मजदूरी पर ही राज्य के सालाना बजट का बड़ा हिस्सा जाया हो रहा है। वहीं राज्य सरकार के लिए मार्च माह के वेतन का भुगतान परेशानी का सबब बना हुआ है।
नए वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीने यानी एक अप्रैल से इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (आइएफएमएस) का अपग्रेड सॉफ्टवेयर लागू किया गया है। इस सॉफ्टवेयर को कई महकमों के डीडीओ अपग्रेड नहीं कर पाए हैं।
नए सॉफ्टवेयर के लागू होने के बाद कर्मचारियों के वेतन व पेंशन भुगतान का कार्य अब पूरी तरह ऑनलाइन हो गया है। इससे पहले तक इस कार्य में कोषागारों में भी हार्ड कॉपी की जरूरत पड़ती रहती थी। नई व्यवस्था में इसकी जरूरत नहीं रह गई है।
वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि चुनाव ड्यूटी में कार्यरत रहे डीडीओ नए सॉफ्टवेयर को अपग्रेड नहीं कर पाए हैं। अब चुनाव ड्यूटी खत्म होने के बाद उन्हें सॉफ्टवेयर तुरंत अपग्रेड करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि करीब 60 फीसद तक राज्य सरकार के कार्मिकों को वेतन भुगतान किया जा चुका है। शेष को दो-तीन दिन के भीतर वेतन भुगतान होगा।