वाराणसी: लोकसभा सभा चुनाव 2019 के लिए कांग्रेस पार्टी ने वाराणसी में उम्मीदवार घोषित कर दिया है। कांग्रेस द्वारा पत्ते खुलते ही सभी कयासों पर विराम लग गया। कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने पूर्व प्रत्याशी अजय राय पर ही भरोसा जताया और उन्हें लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से अपना उम्मीदवार बनाया है। जानिए आखिर कौन हैं अजय राय जो वाराणसी में पीएम मोदी को देंगे टक्कर। 1969 में वाराणसी में पैदा हुए अजय राय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी। 1996 से लेकर 2009 तक अजय राय भाजपा से जुड़े रहे। 1996 में वाराणसी के कोलअसला विधानसभा से अजय राय विधायक बने। इसके बाद अजय राय से वाराणसी की कोलअसला विधानसभा सीट कोई छीन नहीं पाया। 1996 से 2009 तक लगातार अजय राय कोलअसला से विधायक रहे।
इसके बाद 2009 में भाजपा नेताओं से मतभेद होने के चलते अजय राय ने पार्टी छोड़ दी थी। फिर अजय राय ने सपा का दामन थाम लिया। सपा में भी अजय राय ज्यादा दिनों तक नहीं ठहरे। फिर निर्दल चुनाव लड़े और पिंडरा से 2009 में विधायक बने। फिर अजय राय ने कांग्रेस का हाथ पकड़ते हुए पार्टी की सदस्यता ले ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय तीसरे स्थान पर आए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी वाराणसी से पहले स्थान पर थे और आम आदमी पार्टी की तरफ से अरविंद केजरीवाल दूसरे पायदान पर थे। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से अजय राय पिंडरा की विधानसभा सीट से खड़े हुए। लेकिन यह चुनाव भी अजय राय हार गए।
लोकसभा चुनाव 2019 में अजय राय एक बार फिर से कांग्रेस की तरफ से नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकेंगे। 2014 में अजय राय चुनाव को लेकर मोदी के खिलाफ हाईकोर्ट तक गए। यह बात मोदी विरोधियों को अच्छी भी लगी थी। जिस तरह से अजय राय ने पीएम मोदी का विरोध किया था, वह किसी अन्य दल के लिए संभव नहीं था। काशी में ही गंगा में मूर्ति विसर्जन कराने के लिए चलाए गए आंदोलन में अजय राय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।