कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक देश, एक चुनाव के मसले पर आज सभी पार्टी प्रमुखों की बुलाई गई है। जिसकी अध्यक्षता भी वह खुद ही करेंगे। वहीं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में देश के सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों की बैठक में तृणमूल सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाग नहीं लेने पर प्रदेश भाजपा ने कटाक्ष किया है। प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का विकास हो रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश के विकास के साथ राज्य का विकास नहीं चाहती है।इसलिए वह प्रधानमंत्री द्वारा बुलायी गयी किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेती हैं। इसके पहले ममता बनर्जी प्रधानमंत्री के शपथ समारोह में भी शामिल नहीं हुई थी और नीति आयोग की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था। वास्तव में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को भारत संघ के अंदर नहीं, वरन खुद को बाहर मानती हैं।
जानकारी हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजनीतिक दलों के प्रमुखों की यहां बुधवार को होने वाली बैठक में भाग नहीं लेंगी। उन्होंने इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को मंगलवार को पत्र लिखकर सरकार को सलाह दी कि वह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर जल्दबाजी में फैसला करने के बजाए इस पर एक श्वेत पत्र तैयार करे। मोदी ने उन सभी दलों के प्रमुखों को 19 जून को बैठक के लिए आमंत्रित किया है जिनका लोकसभा या राज्यसभा में कम से कम एक सदस्य है। इस बैठक में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार, 2022 में आजादी के 75वें वर्ष के जश्न, महात्मा गांधी के इस साल 150वें जयंती वर्ष को मनाने समेत कई मामलों पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद 20 जून को सभी सांसद रात्रिभोज के समय बैठक करेंगे।
तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में 22 सदस्य हैं। यह संसद के निचले सदन में वाईएसआर कांग्रेस के साथ चौथी सबसे बड़ी पार्टी है।वाईएसआर कांग्रेस के भी लोकसभा में 22 सदस्य हैं। सत्तारूढ भाजपा के लोकसभा में सर्वाधिक 303 सांसद हैं। इसके बाद कांग्रेस (52) और द्रमुक (23) आते हैं। ममता बनर्जी ने पत्र में लिखा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मामले पर विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसे संवेदनशील एवं गंभीर विषय पर इतने कम समय में जवाब देने से इस विषय के साथ न्याय नहीं होगा। इस विषय को संवैधानिक विशेषज्ञों, चुनावी विशेषज्ञों और पार्टी सदस्यों के साथ विचार-विमर्श की आवश्यकता है। उन्होंने लिखा, मैं अनुरोध करूंगी कि इस मामले पर जल्दबाजी में कदम उठाने के बजाए, आप कृपया सभी राजनीतिक दलों को इस विषय पर एक श्वेत पत्र भेजें जिसमें उनसे अपने विचार व्यक्त करने को कहा जाए। इसके लिए उन्हें पर्याप्त समय दिया जाए। यदि आप ऐसा करते हैं, तभी हम इस महत्वपूर्ण विषय पर ठोस सुझाव दे पाएंगे।