उत्तराखंड में आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा, हाईकोर्ट की सख्ती

नैनीताल।  उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े और बंदरबांट के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि इस प्रकरण पर क्या कदम उठाए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। काशीपुर निवासी मुनीदेव विश्नोई ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य में लागू आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के साथ ही बड़ा घोटाला हुआ है।

योजना के तहत सरकारी अस्पतालों ने पंजीकृत अस्पतालों के लिए कई ऐसे लोगों को रेफर किया जिनका न तो बीमारी का पता था और न ही रेफर होने वाले लोगों का, जबकि सरकार से इन प्राइवेट और पंजीकृत अस्पतालों ने इलाज का पैसा ले लिया है। याचिका में काशीपुर के कैलाखेड़ा अस्पताल का हवाला देते हुए कहा कि कुछ ही दिनों में यहां से 47 लोगों को पंजीकृत अस्पतालों के लिए रेफर किया गया। कहा कि न तो इनकी बीमारियों का ही पता है और न ही इस अस्पताल में कोई डॉक्टर है।
जनहित याचिका में आयुष्मान अथॉरिटी और प्राइवेट अस्पतालों की मिलीभगत से हो रहे घोटाले का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच या एसआईटी से जांच  के साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की भी मांग की गई है।

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