नई दिल्ली। 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने बजट पूर्व बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आगामी बजट में शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य पर ध्यान देने का सुझाव दिया है। स्वास्थ्य की बात करें तो उन्होंने वित्त मंत्री को चिकित्सा उपकरणों पर टैक्स को तर्कसंगत बनाने और स्वास्थ्य सेवा ढांचे के लिए विशेष कोष, दवाओं के साथ-साथ डायग्नॉस्टिक सुविधाएं मुफ्त करने का भी सुझाव दिया है। मोदी सरकार के इस पूर्ण बजट से लोगों को भी काफी उम्मीदें हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों के लिए नए प्रावधान लाए जा सकते हैं। इसके अलावा आयुष्माण योजना का और विस्तार होने की उम्मीद है।केंद्र सरकार आगामी बजट में प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन में इजाफा करने के साथ ही 5,000 और स्वास्थ्य केंद्रों की घोषणा कर सकती है। आयुष्मान भारत योजना के सफल क्रियान्वयन से उत्साहित होकर सरकार ऐसी घोषणा कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य क्षेत्र को होने वाले बजटीय आवंटन में 5 फीसद का इजाफा हो सकता है जो कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 52,800 करोड़ रुपये रहा था। वहीं सरकार से यह भी उम्मीद की जा रही है कि वो सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के ट्रॉमा और इमरजेंसी केयर को मजबूती देने के लिए कुछ अहम पहल की घोषणा भी कर सकती है।
हाल ही में मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत के बाद सरकार को स्वास्थ्य एवं कल्याण पर ज्यादा जोर देना होगा। बता दें कि आयुष्मान भारत स्कीम का यह दूसरा चरण है। ये केंद्र बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करेंगे, जिनमें न फैलने वाली बीमारियां और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं। ये केंद्र मुफ्त में जरूरी दवाएं और उपचार सेवाएं भी प्रदान करेंगे।जानकारी के लिए आपको बता दें कि सरकार ने अब तक ऐसे 15,000 स्वास्थ्य केंद्रों को मंजूरी दी है और अगले वर्ष तक उसकी योजना 5,000 से 10,000 केंद्रों की स्थापना करने की है।
शिक्षा क्षेत्र को लेकर उम्मीदें
बजट से शिक्षा क्षेत्र की उम्मीदों को देखते हुए हाल ही में हुई बैठक में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि समावेशी विकास के लिए मौजूदा सरकार शैक्षिक मानकों में सुधार लाने, युवाओं का कौशल बढ़ाने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, बीमारी के बोझ को कम करने, मानव विकास में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। हाल ही में वित्त मंत्रालय की ओर से एक बयान में कहा गया कि सामाजिक क्षेत्र के हितधारकों ने शिक्षा पर ध्यान देने, स्वच्छता, महिलाओं की सुरक्षा के खातिर सुरक्षा खामियों की पहचान करने के लिए शहरों का ऑडिट, नवजात शिशुओं के पोषण को लेकर बजट आवंटन बढ़ाने जैसे सुझाव दिए हैं। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गांवों में स्कूल और कॉलेज खोलने पर जोर हो सकता है। उच्च शिक्षा को सस्ता करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।
शिक्षा क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक, सवर्ण आरक्षण की वजह से आर्थिक बोझ और उच्च शिक्षा संस्थानों में सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्ते लागू करने के कारण सरकार को इस साल के बजट में इजाफा करना होगा। जानकारों की मानें तो साल 2006 में केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों में 27 फीसद ओबीसी आरक्षण लागू करने से पड़े आर्थिक भार को वहन करने के लिए केंद्र सरकार ने सात हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।