देहरादून। पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के मुखिया ने जनता के बीच जाकर जो विकास की घोषणाएं की उन पर सरकारी तंत्र संजीदा नहीं दिख रहा है। आलम ये है कि ढाई वर्ष के कार्यकाल में सीएम ने 1323 घोषणाएं की हैं। जिनमें से आधी घोषणाओं पर काम अधूरा है। कुछ विभागों की स्थिति ये है कि उनका खाता तक नहीं खुला हैं। ये हालात सरकारी तंत्र व प्रदेश में विकास की स्थिति को बयां करने के लिए काफी हैं। जब मुखिया की घोषणाओं का ये हाल है तो विभागीय योजनाओं के तहत चल रहे कामों की स्थितियां क्या होंगी।
वर्ष 2017 में प्रदेश की सत्ता पर त्रिवेंद्र सिंह रावत आसीन हुए। जनता को उम्मीदें थी कि प्रदेश के विकास में तेजी आएगी। क्योंकि पर्वतीय राज्य होने के चलते सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, पुल जैसी मूलभूत सुविधाओं की स्थितियां खासी अच्छी नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने भी इन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने का वायदा चुनाव में जनता से किया था, तो उन्हें पूरा करने की कवायद सत्ता आसीन होते ही शुरू कर दी। स्थितियां ये बनीं कि मुख्यमंत्री जिस जिले में जाते विकास योजनाओं की घोषणाएं करते। पिछले ढाई साल में सीएम ने कुल 1323 विकास योजनाओं की घोषणा की हैं। जिनमें से आधी घोषणाओं पर ही काम पूरा हो सका हैं। जबकि युवा कल्याण विभाग ने तो एक भी घोषणा पर काम अब तक शुरू नहीं किया है। इसके अलावा आवास, वन, परिवहन, शहरी विकास, नागरिक उड्डयन, खेल आदि विभागों के कामों की रफ्तार बेहद सुस्त हैं। केवल लोक निर्माण विभाग ही मुख्यमंत्री की घोषणाओं को धरातल पर उतारने को लेकर गंभीर है। विभाग ने 78 प्रतिशत घोषणाओं को पूरा किया है। पेयजल, सिंचाई और पर्यटन विभाग ने भी लगभग पचास प्रतिशत घोषणाओं को पूर्ण किया है। मुख्यमंत्री के घोषणाओं को लेकर सख्त निर्देश के बावजूद अफसर हीलाहवाली कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने जो घोषणाएं की है, उन पर क्या काम हुआ हैं। इसकी सभी विभागों के सचिवों से रिपोर्ट एक सप्ताह में मांगी गई है। रिपोर्ट आने के बाद अधूरे कार्यों को तेजी से पूरा कराया जाएगा।
– उत्पल कुमार सिंह, मुख्य सचिव उत्तराखंड