देहरादून में चरम सीमा पर है विदेशी सिगरेट का अवैध धंधा, संबंधित विभाग खामोश

देहरादून।  हर गली-मोहल्ले की छोटी से छोटी पान की दुकान पर विदेशी ब्रांड। न कोई प्रिंट रेट और न ही सरकार के नियम के हिसाब से पैकेट पर कोई वॉर्निंग। सिगरेट का यह काला धंधा दून में चरम पर है। स्टॉक में करोड़ों की अवैध सिगरेट इकट्ठा हो चुकी हैं। प्रिंट न होने की वजह से टैक्स का भी सवाल नहीं। संबंधित विभाग खामोश हैं। इस धीमे जहर की युवाओं तक सीधे सप्लाई हो रही है। सिगरेट के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने और तंबाकू उत्पादों के प्रति बढ़ रहे प्रचलन को कम करने के मकसद से वर्ष 2003 में सिगरेट एंड अदर टोबेको प्रोडक्ट एक्ट (कोटपा) लागू किया गया था। इसके तहत देश में तंबाकू उत्पाद बेचने के लिए उसके पैकेट पर हिंदी व अंग्रेजी में वॉर्निंग के साथ ही उस पर कैंसर दर्शाता हुआ फोटो होना अनिवार्य है।

सिगरेट पर करीब 50 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसके लिए पैकेट पर प्रिंट रेट होना जरूरी है, लेकिन विदेशी ब्रांड की सिगरेट पर कोई रेट नहीं होता। मनमाने तरीके से बेचने के साथ ही टैक्स की पूरी तरह से चोरी होती है। इसके अलावा कोटपा एक्ट के तहत किसी भी ब्रांड पर वॉर्निंग या फोटो नहीं दिया जा रहा है। विदेशी सिगरेट का अवैध धंधा पहले पंजाब में चरम पर था। बीते कुछ वर्षों में वहां सरकार की सख्ती के चलते पूरा माल उत्तराखंड में सप्लाई होने लगा। शहर में हनुमान चौक पर तंबाकू उत्पाद बेचने वालों में से कई लोगों के पास करोड़ों रुपये का अवैध सिगरेट का स्टॉक है। इसके अलावा नेपाल से भी विदेशी सिगरेट की सप्लाई का धंधा चरम पर है।

कर के नजरिये से देखें तो राज्य कर विभाग और केंद्रीय कर विभाग को इस मामले में कार्रवाई का अधिकार है। वह टैक्स चोरी के मामले में छापेमारी कर माल सीज कर सकते हैं। सब इंस्पेक्टर से ऊपर रैंक का कोई भी अधिकारी कोटपा एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकता है। कोटपा एक्ट के तहत पहली बार उल्लंघन करने वाले को पांच हजार रुपये जुर्माना या दो साल की सजा या दोनों का प्रावधान है। दूसरी बार कोटपा का उल्लंघन करते हूए पकड़े जाने पर दस हजार रुपये जुर्माना या पांच साल की सजा या दोनों का प्रावधान किया गया है।

क्या कहते हैं अधिकारी 
कोटपा एक्ट और बिना प्रिंट वाली विदेशी सिगरेट के मामले में हमने हाल ही में हरिद्वार में कार्रवाई की थी। देहरादून में जल्द ही इसकी पड़ताल करने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
– कृष्ण कुमार शर्मा, संयुक्त नियंत्रक, बाट-माप विभाग

 

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