प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों से गायब चल रहे 52 चिकित्सकों के त्यागपत्र होंगे मंजूर

देहरादून । प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों से त्यागपत्र देने के बाद बिना स्वीकृति मिले ही गायब चल रहे 52 चिकित्सकों की सेवाएं समाप्त करने की तैयारी चल रही है। शासन इन सभी के त्यागपत्र मंजूर करने जा रहा है। इनके स्थान पर नए चिकित्सकों की भर्ती की जा सकेगी। संबंधित पत्रावली मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जा चुकी है।

उत्तराखंड में लंबे समय से स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतरी हुई हैं। इसका मुख्य कारण प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या कम होना है। राज्य गठन के बाद अभी तक प्रदेश में आई सरकारें स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त करने में नाकाम रही हैं। इतना ही नहीं, सभी सरकारों ने इस बात को स्वीकार किया है कि पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना सबसे बड़ी चुनौती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में कुल 2109 स्वास्थ्य यूनिट हैं। इनमें संयुक्त अस्पताल, जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी और उपकेंद्र शामिल हैं। इनमें डॉक्टरों के 2715 पद सृजित हैं। इनके सापेक्ष केवल अब तकरीबन 2000 से अधिक डॉक्टर तैनात हैं।

शासन ने कुछ समय पहले गायब डॉक्टरों की जांच कराई तो यह बात सामने आई कि कई डॉक्टर ऐसे हैं जिनकी तैनाती सरकारी कागजों में तो है, लेकिन वे अस्पतालों में लंबे समय से गए ही नहीं। दस्तावेज खंगाले गए तो पता चला कि इनमें से कई ऐसे हैं जो विभाग को त्यागपत्र थमा कर चलते बने हैं। इन्होंने शासन से त्यागपत्र स्वीकृत होने का इंतजार नहीं किया। जब नोटिस भेजे गए तो कुछ ने ज्वाइन कर लिया। हालांकि, इसके बाद फिर वह छोड़ कर चले गए। ऐसे में शासन ने विधिक कारणों को देखने के बाद अब शासन ने ऐसे सभी चिकित्सकों की सूची तलब की। इसमें 52 चिकित्सक ऐसे पाए गए हैं जो वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2014 तक के अंतराल में त्यागपत्र विभाग को दे चुके हैं और इस समय निजी चिकित्सालयों में सेवा दे रहे हैं। अब इन सभी को त्यागपत्र देने की तिथि से ही उसे मंजूर करने की कवायद चल रही है। इसके लिए पत्रावली तैयार की जा चुकी है और इसे मुख्यमंत्री के अनुमोदन को भेजा जा रहा है।

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