नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में सत्ता परिवर्तन के बाद अब मुख्तार अंसारी और उनके बेटे अब्बास अंसारी साइकिल छोड़ हाथी पर सवार हो चुके हैं। आज गुरुवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुख्तार और उनके बेटे के बसपा में शामिल किए जाने की घोषणा की है।
बताते चलें कि मुख्तार को बसपा में लाने की पैरवी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र के अलावा बलिया के पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी काफी दिनों से कर रहे थे। दोनों ही अंसारी परिवार के बहुत करीबी माने जाते हैं। मुख्तार अंसारी को जोडऩे के बाद गाजीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी सहित पूर्वांचल के अन्य जिलों की विधानसभा सीटों पर बसपा को फायदा होगा। मुख्तार अंसारी अभी मऊ से विधायक है। इस बार भी वह मऊ से ही ताल ठोकेंगे जबकि उनके बेटे अब्बास अंसारी घोसी से व बड़े भाई सिबागतुल्ला अंसारी मोहम्मदाबाद से चुनाव लड़ेंगे। इन तीनों के लिए बहुजन समाज पार्टी को अब अपने तीन घोषित प्रत्याशियों के नाम को वापस लेना होगा। मुख्तार अंसारी के लिए बसपा नई पार्टी नहीं है। पहले भी वह बसपा में रह चुके हैं। बल्कि देखा जाए तो भाकपा के बाद बसपा ही ऐसी पार्टी रही जिसने चुनावों में मुख्तार अंसारी को अपना निशान हाथी दिया। सपा में रहते हुए मुख्तार अंसारी को ‘साइकिल’ कभी नसीब नहीं हुई। सपा जहां मऊ में मुख्तार के खिलाफ अल्ताफ अंसारी को फिर टिकट दे रही है। वहीं मुहम्मदाबाद सीट पर उम्मीदवार की घोषणा रोक कर सस्पेंस बना दिया है। मुख्तार अंसारी विभिन्न आरोपों में 2005 के बाद से ही लखनऊ की जिला जेल में बंद हैं। जेल में होने के बावजूद मुख्तार अंसारी 2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव इसी विधानसभा क्षेत्र से जीत चुके हैं। इससे पहले उन्होंने 2002 और 1996 में भी यहां जीत हासिल की थी।