लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मोदी रथ पर सवार दो राज्यों के विधानसभा चुनाव में उतरी। मोदी लहर और पक्ष में माकूल हवा के एहसास को बीजेपी तो महसूस कर रही थी लेकिन वोटरों ने कमल का बटन दबाने में पिछले चुनाव जैसी उत्सुकता नहीं दिखाई। नतीजतन हरियाणा में जैसे-तैसे जननायक जनता पार्टी के सहारे बीजेपी ने मनोहर सरकार बना ली। लेकिन महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के सियासी घटनाक्रम ने पार्टी को बुरी तरह झकझोड़कर रख दिया। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में 122 सीटें जीतने वाली बीजेपी 105 के आंकड़े पर सिमट गई और मौके की नजाकत को देखते हुए 25 साल पुरानी सहयोगी ने भी पाला बदल लिया। इन सब के बीच बीजेपी के लिए आगामी चुनाव साख का प्रश्न बन गया है। झारखंड में चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने संग्राम के लिए राजनीतिक ‘योद्धाओं’ की तलाश तेज कर दी है। अभी तक जो स्थिति उभरी है, उसमें यह माना जा रहा है कि बीजेपी और कांग्रेस-झामुमो गठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई होगी। सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) ने बीजेपी का साथ छो़ड़ दिया वहीं लोजपा और नीतीश की जदयू भी झारखंड में एकला चलो रे कि राह पर है।
रूप से झारखंड तीन से चार हिस्सों में बंटा है। इनमें एक संथाल परगना है। ये क्षेत्र पश्चिम बंगाल से लगा हुआ है। यहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का वर्चस्व है। जमशेदपुर के आसपास का इलाका कोलहन है। वहीं झारखंड मध्य का हिस्सा छोटा नागपुर के रूप में प्रचलित है। यहां पर कुर्मी वोटरों का प्रभाव है। आजसू के सुदेश महतो का प्रभाव यहीं पर है। वहीं बात बाबूलाल मरांडी की पार्टी झेवीएम की करें तो कोडरमा, गोड्डा और जमेशदपुर में कुछ हद तक है। झामुमो के अलावा कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल भी प्रमुख खिलाड़ी हैं। कांग्रेस राज्य के गैरसंथाल आदिवासियों के बीच काफ़ी मजबूत है जबकि राजद का आधार उत्तरी झारखंड के ग़ैर-आदिवासियों इलाकों जैसे पलामू, चतरा आदि में है। वहीं सूबे में काबिज बीजेपी की बात करें तो उसकी पहुंच वैसे पूरे प्रदेश यानी इसके तीनों क्षेत्रों में है लेकिन यहां पर बीजेपी हरियाणा के फार्मूले पर काम कर रही है। यानी कि जैसे हरियाणा में सभी पार्टियों का ध्यान जाट वोटरों पर था तो बीजेपी ने गैर-जाट वोटरों पर अपना फोकस किया था। उसी तर्ज पर बीजेपी झारखंड में गैर-आदिवासी वोटरों पर फोकस कर रही है। जिसकी झलक टिकट वितरण में भी देखने को मिल रही है।