देहरादून में बिहारी महासभा ने मकर संक्रांति का मनाया पर्व

-संक्रांति पर पूर्वजों और पितरों को तर्पण करने का भी होता है दिन
-पूजा से पहले नहाने के पानी मे गंगाजल डालने का है रिवाज

देहरादून। शिव बाल योगी आश्रम में पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बिहारी महासभा ने संयुक्त तत्वाधान में मकर संक्रांति खिचड़ी का पर्व मनाया बिहारी महासभा के सैकड़ों सदस्यों ने सुबह नहा धोकर शिव बाल योगी के परिसर में इकट्ठे हुए उसके बाद खिचड़ी एवं चूड़ा दही का कार्यक्रम किया सभा के लोगों ने तिल और तिलकुट भी स्थानीय साईं मंदिर में जाकर दान दिया एवं मकर संक्रांति का पर्व मनाया इस  दिन का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं यह दिन भले ही साल में एक बार आता है लेकिन सभी के लिए खुशियों का दरवाजा जरूर खोल देता है या यूं कहें कि यह दिन सभी लोगों को एक ऐसा मौका देता है जब आप काले तिल या सफेद तिल को दान करने से अपने जीवन में खुशियों का आगमन कराने के लिए दरवाजा खोलते हैं। हिंदू धर्म में इस दिन को लेकर अलग-अलग तरह की मान्यताएं हैं लेकिन इस पर्व पर तिलों को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन तिलों के दान से लेकर तिल खाने तक को शुभ बताया गया है खासकर काले तिल को दान करने को लेकर महत्वपूर्ण बताया गया है। मकर संक्रांति के इस त्यौहार पर बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन कुमार सिंह ने बताया कि तकरीबन पूरे भारत में जैसे बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश दिल्ली हरियाणा हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड गुजरात महाराष्ट्र कर्नाटक उड़ीसा आदि में यह पर्व मनाया जाता है आमतौर पर 14 और 15 जनवरी के दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और पतंगे उड़ाते हैं। बताते चले की इसके अलावा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मकर संक्रांति के मौके पर कुंभ की शुरुआत हो रही है जहां लाखों लोग गंगा किनारे इकट्ठा होकर स्नान करेंगे इसके साथ ही ठंड से परेशान लोगों के लिए भी यह राहत भरा दिन है क्योंकि इसी दिन से मौसम करवट लेना शुरू कर देता है और मौसम हल्का हल्का गर्म होना शुरू हो जाता है इसके बाद बसंत ऋतु का आगमन होता है। बिहारी महासभा के सचिव चंदन कुमार झा ने कहा कि मकर संक्रांति के मौके पर आंचल के अनुसार ही आहार और खाने-पीने की चीजें भी बनाई जाती है बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी चोखा और दही चुडा का विशेष प्रावधान है वहीं उत्तराखंड में मीठे आटे को घी में डीप फ्राई करके स्वीट डिश बनाने की परंपरा है इन मिठाइयों को अलग-अलग आकार में बनाया जाता है और काले कौवे को खिलाया जाता है वही मकर संक्रांति के मौके पर उत्तर भारत में तिल की चक्की गजक रेवड़ी बनाया जाता है बिहार में खासकर दही चूड़ा और गुड़ में पके हुए चावल बनाने का रिवाज भी है इसके साथ ही कई मसालों में बनी स्वादिष्ट खिचड़ी भी बनाई जाती है तिल के लड्डू गुड़ से बने लड्डू भी यहां बिहार के लोग खूब पसंद करते हैं जिसकी व्यवस्था आज बिहारी महासभा ने बिहारी महासभा के खिचड़ी कार्यक्रम में की थी।  वक्ताओं ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन ही भगीरथ के आग्रह और तप प्रभावित होकर गंगा उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंची और वहां से होते हुए वह समुद्र में जा मिली यही वजह है कि इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है मकर संक्रांति के दिन से ही प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होती है जहां लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं। बिहारी महासभा के इस कार्यक्रम मेंसैकड़ों की संख्या मेंसदस्यों ने भाग लिया और चूड़ा तिलकुट दही खाकर खुशियों भरा पर्व मकर संक्रांति मनाई इस कार्यक्रम में बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह सचिव चंदन कुमार झा कोषाध्यक्ष रितेश कुमार वरिष्ठ सदस्य रंजन कुमार संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक श्री लक्ष्मी प्रसाद जयसवाल बिहारी महासभा के पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह के साथ-साथ गोविंदर मंडल के अध्यक्ष विनय कुमार गोविंदगढ़ मंडल के सचिव गणेश साहनी कोषाध्यक्ष विजय पाल के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में बिहारी महासभा के सदस्य उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *