देश में अचानक से लॉकडाउन ख़त्म करने से संकट में फंस जायेगी कानून-व्यवस्था?

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच पीएम नरेंद्र मोदी विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक में देश में कोरोना वायरस से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा तो होगी ही, देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई तक है, उसके बाद क्या किया जाना चाहिए, संभवतया इस पर भी चर्चा होगी.
यकीनन, आर्थिक कारणों से लाॅकडाउन आगे जारी रखना सही नहीं है, लेकिन इसे अचानक खत्म कर दिया तब भी कई ऐसी परेशानियां खड़ी हो जाएंगी, जिनके कारण कई उग्र विवाद हो सकते हैं और देश में कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है.

केन्द्र सहित विभिन्न राज्य सरकारों ने इतने समय में केवल कोरोना से लड़ने में अपनी सारी ताकत लगाई है, कोरोना संकट और लाॅकडाउन के आफ्टर इफेक्ट से उत्पन्न विषम परिस्थितियों से निपटने के बारे में कोई खास इंतजाम नहीं हो पाया है. खासकर, लेन-देन के विवादों का क्या होगा, इस पर अभी तक खामोशी है. अभी कई नौकरीपेशा अपने आॅफिस से दूर अपने घरों में बैठे हैं और मालिक जैसे-तैसे अपना काम चला रहे हैं या फिर काम बंद है. आगे काम चल पाएगा या नहीं इसका अनुमान किसी को नहीं है. नौकर-मालिक के बीच बकाया लेन-देन, नौकरी रहेगी या नहीं जैसे मुद्दों पर सरकार चुप है. नौकर-मालिक के बीच ऐसे विवाद खतरनाक रूप भी ले सकते हैं.

लेन-देन के मद्देनजर किराएदार-मकान मालिक का मुद्दा तो पहले से ही सवालों के घेरे में है.
इसी तरह स्कूल-अभिभावक के बीच फीस विवाद, बैंकों के बकाया, ईएमआई, निजी लेन-देन विवाद, चेक बाउंस, पानी-बिजली के बिलों की समस्या सहित अनेक मामलों में न तो केन्द्र सरकार ने और न ही राज्य सरकारों ने कोई स्पष्ट व्यवस्था दी है, मतलब- आपसी विवाद के जितने मुद्दे इस वक्त लाॅकडाउन में दबे पड़े हैं

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