दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि उत्तराखंड वैश्विक शैक्षिक हब के रूप में स्थापित हो सकता है। देवभूमि के पास उपलब्ध संसाधन, पांरपरिक ज्ञान को यदि सही रूप दे दिया जाए तो यह नामुमकिन नहीं है। जरूरत केवल गंभीरता से काम करनी की है। उत्तराखंड की अब तक की सरकारों ने इस दिशा में गंभीरता से काम ही नहीं किया। नई शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए सिसौदिया ने कहा कि यदि हम अपने पारंपरिक ज्ञान को मूल चेतना से जोड़ते हुए आगे बढ़े तो भारत को विश्व गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता। शनिवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में एजुकेशन इंडिया के प्रिंसीपल कॉनक्लेव में मीडिया से बातचीत में सिसौदिया ने कहा कि ऐसा क्यों नहीं हो सकता है कि सुदूर अमेरिका, जापान, यूरोप के अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए हिन्दुस्तान भेजें। उत्तराखंड एक ड्रीम एजुकेशन डेस्टिनेशन के रूप में भला क्यों न उनके विचार में आए। उत्तराखंड ऐसे एजुकेशन हब के रूप में विकसित हो सकता, जहां पूरे विश्व का अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना देखें। राज्य के विषम भौगोलिक हालात में इस सपने के साकार होने के लिए उन्हें दृढ इच्छाशक्ति चाहिए। पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कई देश-राज्यों ने ऐसे ड्रीएम डेस्टिनेशन बनाए भी हैं। यहां की सरकारों ने इस दिशा में काम ही नहीं किया। इससे पहले कॉनक्लेव में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने देश की शिक्षा व्यवथा, नई शिक्षा नीति और दिल्ली सरकार के प्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश में इस वक्त पांच प्रति बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा मिल रही है। बाकी 95 प्रतिशत सामान्य रूप से पढृ रहे हैं। इस व्यवस्था से इंडिया तो आगे बढ़ृ सकता है लेकिन हिन्दुस्तान नहीं। देश के समग्र विकास के लिए शतप्रतिशत बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देना जरूरी है। इस मौके पर सीबीएसई के आरओ रणवीर सिंह, एजुकेशन इंडिया के मंजीत जैन, निशांत शर्मा, मनीष अग्रवाल, पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप,अरुण कुमार यादव,आदि भी मौजूद रहे।
शिक्षा के मौजूदा पैटर्न में बदलाव की जरूरत
सिसौदिया ने कहा कि कोरोना ने हमे कई सबक दिए हैं। शिक्षा व्यवस्था भी इसमें है। आठ घंटे तक शिक्षक और छात्र को भला स्कूल में क्यों बिठाकर रखा जाए। ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई हुई है ना। इसी प्रकार माइंड सेट को बदलने की भी जरूरत है। छात्र को शिक्षा देनी है और उसका दृष्टिकोण भी समझना होगा। राजा हरिशचंद्र की कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि ईमानदारी का सीख देने वाली वो कथा आज मजाक बन रही है। परिकथाएं, पांरपरिक गढ़े हुए शब्द बच्चे में अलग ही संस्कार पैदा कर रहे हैं। इन सभी पहलुओं को देखना जरूरी है। नई शिक्षा नीति की खुलकर तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कई गंभीर पहलुओं को शामिल किया गया है। अब असल चुनौती इसके सही सही क्रियान्वयन की है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे नहीं हुए शामिल
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को भी इस कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन वो नहीं आए। सूत्रों के अनुसार इस कार्यक्रम में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के प्रचार पर ही फोकस होने की वजह से पांडे ने इस कार्यक्रम से दूरी रखी। मंत्री स्टॉफ का कहना है कि सीएम त्रिवेंद्र रावत के कोरोना संक्रमित होने की वजह से शिक्षा मंत्री ने भी अपना कोरेाना टेस्ट कराया है।