नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वित्तीय वर्ष को लेकर बड़ा संकेत दिया है। पीएम मोदी वित्तीय वर्ष को अप्रैल से मार्च के बजाय जनवरी से दिसंबर करना है। उन्होंने राज्यों से इस प्रस्ताव पर पहल करने को कहा।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मोदी ने राज्यों से गवर्नेंस मसलों पर भी गंभीरता से विचार करने को कहा, जिनके चलते विकास तेज करने में दिक्कत हो रही है। इसके साथ उन्होंने कैपिटल ऐक्सपेंडिचर बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर जोर दिया, जिससे अार्थिक विकास तेज की जा सके।
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग के बाद एक अधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष बदलने को लेकर कई सुझाव आए हैं। उन्होंने राज्यों से वित्त वर्ष को जनवरी से दिसंबर करने के बारे में पहल करने को कहा। शंकर आचार्य की अगुवाई में बनी एक कमेटी वित्त वर्ष बदलने को लेकर पहले ही अपनी रिपोर्ट सरकार को दे चुकी है। भारत में अभी अप्रैल से मार्च का वित्तीय वर्ष होता है, जबकि दुनिया भर में जनवरी से दिसंबर के वित्त वर्ष को फॉलो किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुड गवर्नेंस से संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल होता है और कम संसाधनों की जरूरत होती है। प्रधानमंत्री नीति आयोग के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराने को लेकर एक सकारात्मक बहस शुरू हुई है।
मोदी ने बताया कि लंबे समय तक देश आर्थिक और राजनीतिक कुप्रबंधन का शिकार रहा, जिससे कई अच्छी योजनाओं का भी उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट नहीं मिल पाया। राष्ट्रपति भवन में गवर्निंग काउंसिल की तीसरी मीटिंग में 27 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। इनमें गैर-भाजपा शासित राज्यों- पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह, बिहार के नीतीश कुमार, त्रिपुरा के माणिक सरकार और कर्नाटक के सिद्धारमैया भी शामिल हुए। हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मीटिंग के लिए नहीं आए। केजरीवाल के बदले उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मीटिंग में शामिल हुए।