एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञों ने बहादुरगढ़ के निवासियों को सिरोसिस और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर के लिए जल्दी जांच की सलाह दी

  

                    डॉ. शैलेन्द्र लालवानी, लीवर ट्रांसप्लांट और हेपाटो-पैन्क्रिएटिक-बाइलरी संबंधी सर्जरी विभाग के प्रमुख, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, नई दिल्ली, का कहना है कि लंबे समय से हेपेटाइटिस इंफेक्शन, फैटी लीवर, विरासत में मिली बीमारियों, दवाओं और ऑटोइम्यून रोगों के विषाक्त प्रभाव लिवर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) बीमारियां होने के आम कारण हैं 

बहादुरगढ़। लिवर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) बीमारियों जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते बोझ को देखते हुए मणिपाल हॉस्पिटल्स, दिल्ली, न केवल क्षेत्र के लोगों के लिए उनके दरवाजे पर बेस्ट-इन-क्लास स्पेशलिटी ओपीडी सेवा लाता है, बल्कि लीवर ट्रांसप्लांट सहित रोकथाम, जल्दी पहचान और एडवांस उन्नत सर्जरी की उपलब्धता के बारे में जागरूकता भी पैदा करता है। डॉ. शैलेन्द्र लालवानी, लीवर ट्रांसप्लांट और हेपाटो-पैन्क्रिएटिक-बाइलरी संबंधी सर्जरी के विभागाध्यक्ष, नियमित रूप से बहादुरगढ़ आते हैं। उन्होंने लोगों से अपने लीवर और जीआई हेल्थ पर ध्यान देने और इसे उपेक्षित करने से होने वाले नुकसान पर जानकारी दी। 

डॉ. लालवानी ने चेताया, “लीवर की कई बीमारियों के बीच, सिरोसिस चिंता का एक प्रमुख विषय बन गया है। लंबे समय तक हेपेटाइटिस इंफेक्शन, फैटी एसिड्स का निर्माण, विरासत में मिली बीमारियों, दवाओं के विषाक्त प्रभाव और ऑटोइम्यून रोगों की वजह से सिरोसिस होने का खतरा बना रहता है। हम बहुत ज्यादा खाने, मोटापा और सुस्त जीवनशैली समेत विभिन्न कारणों से गैस्ट्रो से जुड़े रोगों में वृद्धि देख रहे हैं।

वयस्कों में लीवर ट्रांसप्लांट प्रत्यारोपण की आवश्यकता का सबसे आम कारण है सिरोसिस, हेपेटाइटिस वायरस की वजह से लीवर फेल होना और लीवर के कैंसर हैं जो लीवर के बाहर न फैला हो। जिस व्यक्ति में लीवर सामान्य रूप से काम करता है, उसमें से 60-70 प्रतिशत को सुरक्षित तरीके से हटाया जा सकता है।

डॉ. लालवानी ने कहा कि लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता में एक्यूट लीवर फेल्योर भी शामिल है- वायरस (हेपेटाइटिस ए या ई) के कारण, बहुत अधिक एसिटामिनोफेन, और लीवर कैंसर जो लीवर के बाहर न फैला हो। उन्होंने कहा, “एक डोनर के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता यह है कि वह एक ही परिवार से होना चाहिए और उनका ब्लड ग्रुप रोगी के अनुकूल होना चाहिए। ब्लड ग्रुप कम्पैटेबिलिटी की आवश्यकताओं के अलावा, डोनर को स्वस्थ होना चाहिए, 18 से 55 वर्ष की आयु के बीच एक स्वस्थ दिमाग और अधिक वजन या गर्भवती नहीं होना चाहिए। लगभग 60 – 70% लीवर को एक डोनर से सुरक्षित रूप से हटाया जा सकता है और ग्राफ्टिंग के लिए सिर्फ लेफ्ट लोब यानी लेफ्ट लेटरल सेग्मेंट को हटाया जाता है।

डॉ. लालवानी ने कहा, “एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स में हमारे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में सभी प्रकार की एडवांस जीआई सर्जरी और लीवर ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। स्क्रीनिंग और परामर्श के बाद हम रोगियों को एडवांस प्रोसीजर की उपलब्धता बताते हैं। उदाहरण के लिए, लोगों को पता होना चाहिए कि परिवार से एक हेल्दी डोनर से लीवर का हिस्सा लेकर लीवर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। हालांकि कैडेवरिक लीवर ट्रांसप्लांट आइडियल है क्योंकि कम डोनेशन रेट के कारण डोनर को कोई जोखिम नहीं रहता है। लिविंग डोनर लीवर ट्रांसप्लांट के जरिए सबसे अधिक लीवर ट्रांसप्लांट किया जाता है।

विशेषज्ञ का सुझाव है कि लोगों को रोकथाम पर ध्यान देना चाहिए और यदि कोई लक्षण मिले तो जल्द जांच के लिए जाना चाहिए। जल्द से जल्द पता लगाने से उचित चिकित्सा हस्तक्षेप के साथ समय पर बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स उन लोगों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करता है जो जीआई, सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, और एडवांस लाइफ-सेविंग प्रोसीजर से गुजरना पड़ता है।

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