चमोली में 13 साल की बालिका की 34 वर्षीय व्यक्ति से शादी के मामले के बीच अगर आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में हालात बेहद चिंताजनक हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर गौर करें तो यह हालात हकीकत बयां करते हैं। बच्चों की हिफाजत में काम करने वाली संस्थाएं भी इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि बालिकाओं की कम उम्र में शादी के नाम पर तस्करी का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है।
नेशनल क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो चिंताजनक हालात की तस्वीर साफ हो जाती है। 2019 में जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों की तस्करी (चाइल्ड ट्रैफिकिंग) के मामलों में दस हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड पहले पायदान पर है।
यहां बच्चों की तस्करी को प्राथमिक रूप से अपराध माना गया है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि बच्चों की तस्करी के यह मामले कहीं रिपोर्ट भी नहीं हो पाते। बमुश्किल दो प्रतिशत मामले ही संज्ञान में आ पाते हैं।