हरिद्वार। वाराणसी से गुमनामी के भगवान एवं बहु प्रतिभाशाली स्वयंसिद्ध गायक व गीत लेखक, लॉर्ड जे ने हरिद्वार की पवित्र भूमि में कुंभ मेला तक का लंबा सफर तय किया, जहां उन्हें नागा साधुओं व योगियों द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने अपनी आत्मकथा – ‘लॉर्ड जे’- गुमनामी के भगवान का लॉन्च करने के लिए नागा साधुओं एवं योगियों को चुना क्योंकि साधुओं व योगियों की अनामी प्रकृति और अवस्था लॉर्ड जे के जीवन एवं उनकी किताब का पर्याय हैं।
‘लॉर्ड जे – गुमनामी के भगवान’, यह आत्मकथा दुनिया में प्रसिद्धि पाने के लिए लॉर्ड जे के सामने आई मुश्किलों व संघर्षों की कहानी सुनाती है। वो पूरी दुनिया में अपनी मौलिक व शुद्ध प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी किताब में उनके माता पिता के त्याग के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि उन्होंने किस प्रकार रेगिस्तान में कला की गंगा बहाई। लॉर्ड जे के लिए गुमनामी की उनकी अवस्था ने उनकी मौजूदगी बढ़ाई और इसी कारण से वो कुंभ मेला के अवसर पर हरिद्वार के नागा साधुओं और योगियों से मिलने के लिए आए, जहां उन्हें उन लोगों के हाथों से अपनी किताब का विमोचन कराके उनके आशीर्वाद का लाभ मिला। उनकी आत्मकथा 23 देशों में उपलब्ध होगी, जहां उनके फैंस एवं लोग उसे पढ़कर अपनी महत्वाकांक्षा की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित होंगे और उन्हें अपने मार्ग में आने वाली मुश्किलों का सामना करने की शक्ति मिलेगी। हरिद्वार में लॉर्ड जे ने कहा, ‘‘दुनिया प्रसिद्धि के पीछे भाग रही है और अपना नाम घर घर में पहुंचाना चाहती है, वहीं अपनी पहचान को सबसे छिपाकर रखना बहुत अजीब लगता है, जबकि सभी लोग आपके बारे में जानना चाहते हैं। साथ ही अपने जीवन के बारे में पूरे विस्तार के साथ एक किताब लिखना और उसके बाद भी अपनी पहचान को छिपाए रखना बहुत चुनौतीपूर्ण था। इससे मुझे यह समझने को मिला कि नागा साधु और योगी यह कैसे करते हैं और हर व्यक्ति के सामने रहते हुए भी गुमनाम बने रहते हैं। इसलिए मैंने अपनी किताब इन पवित्र आत्माओं को समर्पित की क्योंकि यह इन पवित्र पुरुषों के सार को दर्शाती है।’’
इसके अलावा, लॉर्ड जे पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहे हैं। अपनी आत्मसिद्ध प्रतिभाओं के लिए उन्हें अपना अगला प्रोजेक्ट प्रोड्यूस करने के लिए विशाल फंडिंग मिली है। कला की समझ एवं अपनी विलक्षण प्रतिभा के लिए उन्हें अपने आगामी गाने के लिए 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि मिली है।