हर ओर जब अंधेरा नजर आ रहा हो तब उजाला कहीं आसपास ही होता है। जरूरत बस धैर्यपूर्वक कठिनाइयों का हल निकालने की होती है। ऐसा ही उदाहरण अपने परिवार और समाज के लिए पेश किया है कटियाटोला की रहने वाली प्रिया गुप्ता ने। पिता की बुक्स और स्टेशनरी की दुकान जब कोरोना कर्फ्यू में बंद हुई तो प्रिया ने सोशल मीडिया के माध्यम से न केवल ऑर्डर लिए बल्कि खुद होम डिलीवरी करने लगीं।
कटिया टोला की रहने वाली प्रिया गुप्ता के पिता अंबरीश की रोटी गोदाम बेसिक स्कूल के पास बुक्स और स्टेशनरी की दुकान है। पिछले साल जब कोरोना संक्रमण फैला और लॉकडाउन लगाया गया तब प्रिया ने मास्क बनाने का काम सीखा और ऑर्डर पर मास्क बनाने लगीं। कुछ निशुल्क मास्क जरूरतमंदों को बांटे। बाकी ऑर्डर के मुताबिक लोगों तक पहुंचाकर परिवार की आर्थिक मदद की। परिवार अभी पिछले साल के आर्थिक झटके से उभरा भी नहीं था कि इस साल फिर से कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से कोरोना कर्फ्यू लग गया।
प्रिया बताती हैं कि अप्रैल अंत में उनका पूरा परिवार बुरी तरह बुखार की चपेट में आ गया। इसी बीच कोरोना कर्फ्यू में दुकान बंद होने से आर्थिक स्थिति भी गड़बड़ाने लगी थी। स्कूल-कॉलेज बंद होने की वजह से मांग वैसे भी कम थी। तब प्रिया ने एक बार फिर से बिजनेस बढ़ाने के लिए नया आइडिया निकाला। उन्होंने फेसबुक-वाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया के सहारे बुक्स और स्टेशनरी का प्रचार शुरू किया। धीरे-धीरे प्रिया के पास आर्डर आने लगे। प्रिया खुद साइकिल से जाकर आर्डर के मुताबिक सप्लाई करने लगीं। इसमें उनका छोटा भाई मयंक भी सहयोग करने लगा। देखते-देखते सबकुछ फिर से पटरी पर आ गया है। कोरोना कर्फ्यू में छूट मिलने के बाद अब फिर से दुकान खुलने लगी है लेकिन प्रिया पिता की मदद के लिए ऑनलाइन डिलीवरी का काम कर रहीं हैं। प्रिया ने एसएस कॉलेज से कॉमर्स में परास्नातक किया है। वर्तमान में वह अर्थशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए प्राइवेट फार्म भरकर पढ़ाई कर रही हैं।