देहरादून: उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे पर उठे विवादों के समाधान की उम्मीदों पर अधिकारी ही पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। परिसंपत्ति बंटवारे को लेकर हुई बैठक में कई विभागों के अधिकारी इस मामले में अनभिज्ञ नजर आए। अधूरी तैयारियों के साथ पहुंचे अधिकारियों की इस कार्यशैली पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने अगली बार ऐसी लापरवाही पर निलंबन की चेतावनी दी है।
मुख्यमंत्री ने इस मसले पर 23 मई को फिर से बैठक बुलाई है। इससे पूर्व 20 मई को कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक लंबित प्रकरणों की समीक्षा करेंगे। जून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर से इस मसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मुलाकात कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में न्यू कैंट रोड स्थित कैंप कार्यालय में परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर समीक्षा बैठक हुई। बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि बैठक में 18 विभागों के 40 से अधिक प्रकरण सामने रखे गए। कई विभागों के अधिकारी इस महत्वपूर्ण बैठक में तैयारी के साथ नहीं पहुंचे। इससे मुख्यमंत्री खफा रहे।
सीएम ने महकमों को पूरी तैयारी के साथ अगली बैठक में आने की हिदायत दी गई है। उन्होंने बताया कि सिंचाई विभाग में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच आवासीय एवं अनावासीय भवनों के हस्तांतरण का मामला लंबित है।
इसी तरह हरिद्वार स्थित 4230 हेक्टेयर भूमि पर सहमति नहीं बनी है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद ने मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम से 353 करोड़ का ऋण लिया था। अब इसकी अदायगी उत्तराखंड के पाले में डाली जा रही है, जबकि नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इसका उपयोग अन्य परियोजनाओं में हुआ है।
पेंशन दायित्व में उत्तर प्रदेश से अतिरिक्त 2800 करोड़ रुपये दिए जाने का मसला भी उठा। बैठक में परिवहन, आवास, सहकारिता, पेयजल एवं स्वच्छता, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, पशुपालन, वन, ग्राम्य विकास, माध्यमिक शिक्षा व औद्योगिक विकास समेत कई विभागों के लंबित प्रकरणों पर चर्चा हुई। बैठक में मुख्य सचिव एस रामास्वामी, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश व रणवीर सिंह समेत तमाम विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।