कोरोना महामारी और लगाए गए लॉकडाउन के चलते देश के 19 राज्यों की विधायिकाओं में पिछले साल औसतन 18 दिन का ही सत्र रहा। वर्ष 2016 से 2019 के बीच इन राज्यों में विधायिकाओं के सत्र औसतन एक साल में 29 दिन चले। पीआरएस विधायी अनुसंधान ने यह जानकारी अपनी सालाना रिपोर्ट में दी। वर्ष 2020 में 33 दिन के लिए संसद सत्र चला।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल कर्नाटक में 31 दिन सत्र चला जबकि इसके बाद राजस्थान में 29 दिन, हिमाचल प्रदेश में 25 दिन सत्र चले। केरल में पिछले साल मात्र 20 दिन सत्र चला जबकि इसके पहले के चार साल में औसतन 53 दिन सत्र चले थे।
पिछले साल लॉकडाउन के हालात में ढील के बाद प्रदेश विधानसभा, विधानपरिषदों की बैठक आहूत की गई। कुछ विधायिकाओं ने बैठकों के लिए वैकल्पिक रास्ते अपनाए। आंध्र प्रदेश में राज्यपाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना अभिभाषण पढ़ा। तमिलनाडु ने अपना मानसून सत्र एक ऑडिटोरियम में आयोजित किया जबकि पुडुचेरी विधानसभा की कार्यवाही बजट पारित करने के लिए एक नीम के पेड़ के नीचे चली।