देहरादून। चीनी भाषा का पाठ्यक्रम चलाने वाले प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान दून यूनिवर्सिटी ने मंदारिन पढ़ाने के लिए ताइवान के साथ एमओयू किया, जिसके तहत ताइवान अपने शिक्षकों को दून यूनिवर्सिटी भेजेगा। इस एमओयू पर दून यूनिवर्सिटी और एजुकेशन डिवीजन, ताइपे इकोनॉमिक एंड कल्चरल सेंटर इन इंडिया (टीईसीसी) के बीच दोनों पक्षों के बीच मंदारिन भाषा पढ़ाने के लिए अकादमिक सहयोग के लिए ऑनलाइन हस्ताक्षर किए गए थे। टीईसीसी के एजुकेशन डायरेक्टर पीटर्स चेन ने कहा कि एमओयू की शर्तों के अनुसार, ताइवान के शिक्षक विद्यार्थियों को मंदारिन भाषा सिखाने के लिए कक्षाएं संचालित करेंगे। साथ ही वे छात्रों को मंदारिन भाषा में महारत हासिल करने, ताइवान में पढाई करने के लिए उपलब्ध छात्रवृत्ति और इंटर्नशिप के अवसरों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करेंगे।
वे आगे कहते हैं कि “यदि कोविड-19 महामारी के कारण सीमा प्रतिबंध नहीं हटाया जा सका तो हमारे पास वैकल्पिक तरीके के रूप में दूरस्थ शिक्षण (डिस्टेंस टीचिंग) हो सकता है। जैसे-जैसे शिक्षण प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, मैं मंदारिन सीखने वाले प्रत्येक छात्र के लिए एक अधिक व्यावहारिक भाषा कार्यक्रम शुरू करने की उम्मीद करता हूं, जिसके जरिए वे मंदारिन में अपने इतिहास और कहानियों को लिपिबद्ध कर पाएंगे,ताकि मंदारिन भाषी लोग वास्तविक भारत को समझ सकें। मुझे लगता है कि ऐसा करने से विद्यार्थियों को सीखने में ज्यादा आनंद आएगा।” विद्यार्थी ताइवान के चाइनीज भाषा के टेस्ट को देकर विदेशी भाषा (टीओसीएफएल) का मूल्यांकन प्रमाण पत्र भी प्राप्त कर सकते हैं, जो सीईएफआर (कॉमन यूरोपीय फ्रेमवर्क ऑफ रिफरेन्स फॉर लैंग्वेजेजः लर्निंग, टीचिंग एंड असेसमेंट) और एसीटीएफएल (अमेरिकन कॉउंसिल ऑन द टीचिंग ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज) के स्तर के बराबर है।
दून विश्वविद्यालय, उत्तराखंड का चीनी अध्ययन विभाग,एक युवा और महत्वाकांक्षी विभाग है। यह केवल एक दशक पुराना है और उत्तरी भारत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीनी केंद्र के बाद यह विभाग ही एकमात्र केंद्र है, जो अपनी स्थापना के बाद से स्नातक स्तर और स्नातकोत्तर स्तर पर चीनी भाषा, साहित्य और संस्कृति के बारे में विद्यार्थियों को लगातार प्रशिक्षण दे रहा है। दून विश्वविद्यालय के प्रशासन के सहयोग से और जेएनयू, विश्व भारती, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध भारतीय चीनी भाषा के जानकारों के मार्गदर्शन में, यह विभाग खुद को चीनी भाषा और संस्कृति सिखाने वाले एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
विभाग के वर्तमान प्रभारी मधुरेन्द्र झा ने कहा, टीईसीसी के साथ एमओयू इस प्रयास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल और रजिस्ट्रार डॉ. एम.एस. मंदारवाल ने एमओयू के लिए टीईसीसी और चीनी अध्ययन विभाग को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस एमओयू के तहत जब भी ताइवान के शिक्षक चीनी अध्ययन विभाग में शामिल होंगे, तब न केवल विद्यार्थियों और विभाग के संकाय सदस्यों को इससे लाभ होगा। यह दून विश्वविद्यालय और ताइवान के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने में भी मदद करेगा। विश्वविद्यालय शिक्षा प्रभाग, टीईसीसी के माध्यम से ताइवान के साथ इस तरह के और अधिक शैक्षणिक और सांस्कृतिक सहयोग की आशा करता है।
दून विश्वविद्यालय, उत्तराखंड का चीनी अध्ययन विभाग,एक युवा और महत्वाकांक्षी विभाग है। यह केवल एक दशक पुराना है और उत्तरी भारत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीनी केंद्र के बाद यह विभाग ही एकमात्र केंद्र है, जो अपनी स्थापना के बाद से स्नातक स्तर और स्नातकोत्तर स्तर पर चीनी भाषा, साहित्य और संस्कृति के बारे में विद्यार्थियों को लगातार प्रशिक्षण दे रहा है। दून विश्वविद्यालय के प्रशासन के सहयोग से और जेएनयू, विश्व भारती, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध भारतीय चीनी भाषा के जानकारों के मार्गदर्शन में, यह विभाग खुद को चीनी भाषा और संस्कृति सिखाने वाले एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
विभाग के वर्तमान प्रभारी मधुरेन्द्र झा ने कहा, टीईसीसी के साथ एमओयू इस प्रयास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल और रजिस्ट्रार डॉ. एम.एस. मंदारवाल ने एमओयू के लिए टीईसीसी और चीनी अध्ययन विभाग को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस एमओयू के तहत जब भी ताइवान के शिक्षक चीनी अध्ययन विभाग में शामिल होंगे, तब न केवल विद्यार्थियों और विभाग के संकाय सदस्यों को इससे लाभ होगा। यह दून विश्वविद्यालय और ताइवान के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने में भी मदद करेगा। विश्वविद्यालय शिक्षा प्रभाग, टीईसीसी के माध्यम से ताइवान के साथ इस तरह के और अधिक शैक्षणिक और सांस्कृतिक सहयोग की आशा करता है।