कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद नौ में से एक स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आया जबकि वैक्सीन की एक खुराक लेने वाले पांच में से एक स्वास्थ्य कर्मचारी को संक्रमण हुआ। दिल्ली सरकार के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने अपना पहला अध्ययन जारी किया है जिसके अनुसार कोवाक्सिन से ज्यादा एंटीबॉडी कोविशील्ड वैक्सीन के जरिए पाई गई हैं।
लोकनायक और जीबी पंत अस्पताल के डॉक्टर, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ पर किए इस अध्ययन को मेडरेक्सिव मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है। हालांकि संक्रमित हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों से पांच फीसदी को ही अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आई। सामुदायिक चिकित्सा विभाग के इस अध्ययन में 326 स्वास्थ्य कर्मचारियों को शामिल किया गया था जिनकी औसतन आयु 29.1 वर्ष थी। इनमें 212 यानि 65 फीसदी पुरुष थे। अध्ययन में शामिल 200 स्वास्थ्य कर्मचारी यानि 90.9 फीसदी वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके थे। जबकि 41 कर्मचारियों ने एक खुराक ली थी और उसके बाद वह संक्रमित हो गए। 326 में से 168 (51.5फीसदी) कर्मचारियों ने कोवाक्सिन लिया था। जबकि 158 (48.5 फीसदी) ने कोविशील्ड वैक्सीन लिया। छह जून तक चले इस अध्ययन के दौरान जब वैक्सीन लेने वाले इन स्वास्थ्य कर्मचारियों से बातचीत और एंटीबॉडी की जांच की गई तो पता चला कि 36 स्वास्थ्य कर्मचारियों को वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना संक्रमण हुआ। यानी कुल 11 फीसदी कर्मचारियों में ब्रेक थ्रो इंफेक्शन (वैक्सीन के बाद संक्रमण) पाया गया। अध्ययन में यह भी पता चला है कि जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों ने पहली खुराक ली थी उन्हें कोरोना संक्रमण 14 दिन के भीतर ही हो गया। हालांकि राहत यह रही कि इनमें से अधिकांश घर में रहकर ही ठीक हो गए थे। अध्ययन में यह भी पता चला है कि 94.4 फीसदी ब्रेक थ्रो इंफेक्शन के मामले माइल्ड थे। इन्हें ऑक्सीजन थैरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ी।